Published : Aug 10, 2022, 04:01 PM ISTUpdated : Aug 10, 2022, 08:31 PM IST
जयपुर. जमीन जायदाद और अन्य कारणों के चलते परिवारों के विघटन और बिखराब के बीच रक्षाबंधन की ये असल कहानी आपके दिल को छू लेगी। एक ही शहर में रहकर बहन और भाई के बीच मन मुटाव के कारण रक्षा बंधन नहीं मनाने की कई खबरें आपके सामने आई होगी, लेकिन रक्षा बंधन मनाने के लिए सात हजार तीन सौ किलोमीटर दूर दो भाई और उनका परिवार हर साल भारत आ रहा है। हांलाकि कोरोनो के कारण यह तीसरा साल है कि जब वे लोग यहां नहीं पहुंच सके हैं। इसका उनकी बहन दीक्षा को दुख है। लेकिन उसके बाद भी भाईयों ने अपनी बहन के लिए उपहार भेजे हैं जो उनको मिल गए हैं।
दरअसल, साल 2012 में स्पेन से भारत घुमने के लिए दो भाई मारियो और अंतेनियो भारत आए थे। दोनो सगे भाई हैं। दोनो जब राजस्थान आए तो उनके टूर ऑपरेटर ने उनके लिए जयपुर से दीपक कुमार को गाइड के लिए चुना। जिस समय वे यहां पहुंचे थे उस समय रक्षाबंधन का त्योंहार आने में था।
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बता दें कि जयपुर, जोधपुर, उदयपुर घुमने के दौरान मारियो और अंतेनियों ने त्योंहार की खूबसूरती देखी और भारतीय संस्कृति को नजदीक से महसूस किया। जयपुर के महेश नगर में रहने वाले गाइड दीपक कहते हैं कि जब रक्षाबंधन आ ही गया था तो वे जयपुर में थे।
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इस दौरान दोनो भाई घर आए थे। घर पर पत्नी दीक्षा को रक्षाबंधन के मौके पर सजा धजा देखा तो वे खुद भी रक्षाबंधन मनाने से खुद को नहीं रोक सके। दोनो भाईयों ने दीक्षा से राखी बंधाई और दीक्षा को उपहार दिए। उसके बाद हर साल आने का वादा किया।
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दीपक ने बताया कि कोरोना के आने तक यह सिलसिला हर साल चला। मारियो और अंतेलियो हर साल आ रहे थे। रक्षाबंधन पर आते और भाईदूज पर दीक्षा उन्हें मोली, अक्षत और रौली कोरियर करती। दोनो के साथ उनका परिवार भी आने लगा। कई सालों से उनकी बहन और उनके पति भी आए। उनकी बहन को भारतीय संस्कृति का इतना चस्का लगा कि उन्होंने अपने परिधान ही बदल लिए।
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हर साल आने वाले इन विदेशी भाइयों पर कोरोना ने ब्रेक लगा दिया। अब वे लोग खुद नहीं आ पा रहे हैं। लेकिन मन मिला हुआ है। दीक्षा राखी और भाईदूज पर दोनो भाईयों और उनके परिवार को याद करती है और वे भी कहीं भी हो, उपहार और शुभकामनाएं भेजते हैं।
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दीपक कहते है कि इन दिनों परिवारों में ये हाल हो रहा है कि बहन और भाई तक के रिश्ते खत्म हो रहे हैं, लेकिन ऐसे में ये रिश्ता अनवरत जारी है। जारी ही रहे....