दर्द क्या होता है इस परिवार से पूछिए, 6 दिन खाली पेट रहकर पैदल नापी 1100 KM दूरी

जयपुर. देश को लॉकडाउन लागू हुए डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, अभी भी लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं। प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए राज्य सरकारें पूरी कोशिशें कर रही हैं। लेकिन इसके बाद भी हाजारों मजदूर पने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं। कहीं किसी की चप्पलें घिस गईं तो किसी के पैरों में छाले पड़ गए, फिर भी तमाम कठिनाइयों को सहते हुए वह चलते ही जा रहे हैं। ऐसी एक दर्दभरी कहानी राजस्थान से सामने आई है, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि, एक खौफनाक सच्चाई है। जहां एक मजदूर ने अपने दो छोटे-छोटे बच्चों, पत्नी को लेकर 6 दिन तक खाली रहकर करीब 1100 किलोमीटर की दूरी पैदल ही माप दी।

Asianet News Hindi | Published : May 9, 2020 9:12 AM IST / Updated: May 09 2020, 07:18 PM IST

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दर्द क्या होता है इस परिवार से पूछिए, 6 दिन खाली पेट रहकर पैदल नापी 1100 KM दूरी

जेब में नहीं एक रुपया, भुखमरी की आ गई नौबत: दरअसल, जब लॉकडाउन खत्म होता नजर नहीं आया और भुखमरी की नौबत आ गई तो जयपुर में रहने वाले मजदूर महेश राय ने पैदल ही अपने घर बिहार जाने की ठान ली। इस मजबूर परिवार के पास एक बैग और एक पानी बोलत साथ थी। खाने का ना तो कोई सामान था और ना ही जेब में एक रुपया। रास्ते में जिसने जो खाने को दिया उसको वह अपने दो मासूम बच्चों को खिला देता।

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पैरों में पड़ गए छाले, पानी-पीकर मिटाई भूख: इतनी तपती धूप होने के बावजूद भी महेश ने अपना हौंसला नहीं खोया। पति-पत्नी पानी पीकर भूख मिटाते रहे, पैदल चलते-चलते पत्नी और बच्चों के पैरे में छाले पड़ गए। वह दर्द से कराहते थे, लेकिन रुकने का नाम नहीं। उनके साथ मैं और भी कई लोग साथ थे, जो राजस्थान से बिहर जा रहे थे।

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घर पहुंचकर ली सुकून की सांस: पति महेश और पत्नी विभा देवी बच्चों को लेकर लगातार 6 दिन पैदल चलने के बाद शुक्रवार को अपने घर गोपालगंज पहुंचे। जब कहीं जाकर उन्होंने राहत की सांस ली। 

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कोई आगे निकला तो कोई रह गया पीछे: महेश राय ने बिहार पहुंचकर बताया कि उनके साथ में और भी कई लोग पैदल जयपुर से बिहार आए हुए थे, कोई आगे निकल गया तो कोई अभी हमसे पीछे चल रहा है।

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बेबसी की तस्वीर: यह तस्वीर हरियाणा के अंबाला शहर की है। जहां एक मजदूर अपनी पानी की बोतलों को चप्पल बनाकर तपती धूप में अपना सपर तय करता हुआ।

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 रोज हजारों मील दूरी पैदल कर रहे तय: लॉकडाउन के चलते रोजगार के ठप होने की सबसे अधिक मार गरीब मजदूरों पर पड़ी है। जब काम बंद हुआ तो लाखों मजदूर जहां थे, वहां ही रुक गए, लेकिन  कुछ नहीं रुक पाए तो पैदल ही घर के लिए रवाना हो गए

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सबके मन में घर जाने की जिद: सरकार के इंतजाम के बाद भी अभी भी रोज हजारों मजदूर पैदल चलकर अपना सफर तय कर रहे हैं। वह रुकने को तैयार नहीं है, उनक कहना है कि जब मरना ही है तो क्यों ना हम अपनी माटी में जाकर मरे।

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