ऐसा किसी के साथ न हो: 10 मीटर दूर पॉलिथीन में लिपटी रखी थी जवान बेटे की लाश, मां-बाप दूर खड़े होकर रोते रहे

जयपुर, राजस्थान. जवान बेटे की मौत के बाद ये मां-बाप ठीक से उसका चेहरा भी नहीं देख सके। जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब मां-बाप 10 मीटर दूर खड़े होकर रोये जा रहे थे। 27 साल के बेटे की लाश पॉलिथीन में लिपटी रखी थी। क्योंकि बेटे की मौत कोरोना के कारण हुई थी। ऐसे में संक्रमण के खतरे को देखते हुए लाश के पास किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। यह तस्वीर कोरोना के खतरे को दिखाती है। इन मां-बाप के दिल पर क्या बीत रही होगी, दूसरा कोई नहीं समझ सकता। आगे पढ़िये इसी खबर का शेष भाग..

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2020 4:35 AM IST
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ऐसा किसी के साथ न हो: 10 मीटर दूर पॉलिथीन में लिपटी रखी थी जवान बेटे की लाश, मां-बाप दूर खड़े होकर रोते रहे

इस अभागे मां-बाप के बेटे का जयपुर के आदर्शनगर मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया गया। उसका अंतिम संस्कार एसएमएस अस्पताल के विष्णु और उनके साथियों ने किया। उनके अलावा किसी को भी लाश के पास आने की इजाजत नहीं थी। मृतक युगल किशोर के पिता कन्हैयालाल ने बताया कि उसका एक्सीडेंट हुआ था। जांच में वो पॉजिटिव निकला था। इसके बाद उसकी मौत हो गई। आगे पढ़िए मध्य प्रदेश की ऐसी ही एक घटना

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दूर से पिता की चिता जलते देखता रहा बेटा: यह मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में कुछ दिनों पहले सामने आया था। कोरोना ने एक बेटे को इतना डरा दिया कि वो अपने पिता को मुखाग्नि देने तक आगे नहीं आया। वो 50 मीटर दूर खड़े होकर चिता को देखते रहा। बेटा ही नहीं, मृतक की पत्नी भी दूर नजर आई। आखिरकार तहसीलदार ने मानवीयता दिखाते हुए इस अपने लिए अनजान बुजुर्ग को मुखाग्नि दी। इस बुजुर्ग की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में

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कोरोना के डर से रिश्तों में आईं दूरियों की यह कहानी शुजालपुर के एक परिवार की है। इनके परिवार के बुजुर्ग को 8 अप्रैल को पैरालिसिस अटैक आया था। उन्हें भोपाल के पुराने शहर स्थित मल्टीकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहां जांच में उन्हें कोरोना निकला था। बाद में उनकी मौत हो गई। (तस्वीर में तहसीलदार अंतिम संस्कार करते हुए)
 

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प्रशासन की सूचना पर शुजालपुर से मृतक की पत्नी, बेटा और साला भोपाल पहुंचे। लेकिन उन्होंने शव को लेने से मना कर दिया। उन्होंने लिखकर दे दिया था कि प्रशासन ही अंतिम संस्कार कर दे। आखिरकार तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने मानवीयता दिखाकर अंतिम संस्कार किया।(अंतिम संस्कार के दौरान तहसीलदार)
 

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जब बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब बेटा 50 मीटर दूर खड़ा चिता को देख रहा था। पिता की मौत पर बेटे ने सिर्फ इतना कहा कि भगवान किसी को ऐसी मौत न दे। तहसीलदार ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया है।(तस्वीर-तहसीलदार)

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अंतिम संस्कार के बाद स्नान करते तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल। उन्होंने कहा कि कोरोना ने लोगों की भावनाओं पर भी असर किया है।

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