कबाड़ की जुगाड़ से बना दी बिना बिजली के चलने वाली आटा चक्की, देखिए कुछ अन्य अजूबे आविष्कार

उदयपुर, राजस्थान. दुनिया में कोई चीज कबाड़ नहीं होती। कुछ चीजों को रिसाइकिल करके दुबारा इस्तेमाल के लायक बनाया जा सकता है, तो कइयों से काम की अन्य चीजें/मशीनरी तैयार की जा सकती हैं। जुगाड़ साइंस(Jugaad science) से बनीं नई चीजें शॉर्प दिमाग की उपज होती हैं। ये वो मशीनें या काम की चीजे हैं, जिन्हें देसी तकनीक से ऐसे लोगों ने बनाया है, जो इंजीनियर नहीं हैं या कम पढ़े-लिखे हैं। ये चीजें अलग-अलग समय में सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रही हैं। पहले जानते हैं उदयपुर के मावली क्षेत्र के प्रकाशपुरा गांव के रहने वाले बाबूलाल की बिना बिजली के चलने वाली आटा चक्की के बारे में। मैट्रिक तक पढ़े बाबूलाल गांव में बिजली नहीं रहने से परेशान रहते थे। गेहूं-दाल आदि पिसवाने के लिए उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता था। गांव के बाकी लोगों का भी यही हाल था। एक दिन बाबूलाल ने खुद कुछ करने की ठानी और डीजल के अलावा चार्जेबल बैटरी से चलने वाली आटा चक्की बना डाली। इसके लिए उन्होंने कबाड़ में पड़ीं चीजों का इस्तेमाल किया। इंजन, गियर बॉक्स, नली, बैटरी, पंखा, बाइकी की पेट्रोल टंकी आदि को असेंबल करके यह आटा चक्की बनाई गई। इसमें 12 वोल्ट की बैटरी लगाई गई, जो एक घंटे में फुल चार्ज होती है। इसके बाद 11 घंटे तक चक्की को चलाया जा सकता है। जब बिजली हो, तो बैटरी चार्ज कर लो। अगर नहीं है, तो डीजल से चलाओ। आटा चक्की के सारे पार्ट आसानी से निकाले जा सकते हैं। यानी उसे दूसरी जगह भी रखा जा सकता है। आगे पढ़ें इसी चक्की की खूबी...

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2020 11:29 AM IST
112
कबाड़ की जुगाड़ से बना दी बिना बिजली के चलने वाली आटा चक्की, देखिए कुछ अन्य अजूबे आविष्कार

बाबूलाल की यह आटा चक्की कुछ महीने पहले सोशल मीडिया के जरिये सुर्खियों में आई थी। चक्की की स्पीड को गीयर के जरिये नियंत्रित करने की सुविधा दी गई। इस चक्की बैटरी के जरिये सेल्फ स्टार्ट होती है। आगे पढ़ें-बिजली कटौती ने जला दी दिमाग की बत्ती, देसी जुगाड़ से बाइक के जरिये निकाल लिया ट्यूबवेल से पानी

212

भोपाल, मध्य प्रदेश. यह आविष्कार मध्य प्रदेश के छतपुर जिले के बड़ामलहरा में हुआ था। यहां एक कम पढ़े-लिखे शख्स ने जब देखा कि बिजली कटौती के चलते ट्यूबवेल बंद होने से लोग पानी को परेशान हैं, तो उसने दिमाग दौड़ाया। बस फिर क्या था, उसने अपनी बाइक के पिछले पहिये में थ्रेसर की बेल्ट को यूं बांधा कि उसके घूमने से ट्यूबवेल में लगा डीजल पंप चल पड़ा और पानी निकलने लगा। बाली मोहम्मद  इस बाइक का इस्तेमाल बाली सामान ढोने से लेकर खेती-किसानी में करता आ रहा था। फिर उसने देखा कि बिजली कटौती से ट्यूबवेल का उपयोग नहीं हो पा रहा है। डीजल पंप का इस्तेमाल महंगा पड़ रहा था। वहीं, पंप पुराना और खराब हो चुका था। खेतों को सिंचाई और लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत भी थी। तभी उसे बाइक के जरिये पंप चलाने का आइडिया आया। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में..

312

बाली ने बाइक के इंजन के बगल में लगे मैग्नेट बॉक्स को खोलकर उसके अंदर दो बोल्ट कस दिए। इसमें थ्रेसर की बेल्टों को काटकर यूं फंसाया कि पहिया घूमने पर बेल्ट भी घूमे। दूसरे सिरे पर उसने बेल्ट को डीजल पंप की पुल्ली(रॉड) से कस दिया। अब बाली ने जैसे ही बाइक स्टार्ट की..बेल्ट घूमने से डीजल पंप का चक्का भी तेजी से घूमा। इस तरह पानी ऊपर आने लगा। इस पर खर्चा भी आया सिर्फ 30 रुपए में एक घंटे पानी खींचना। यानी यह डीजल से सस्ता पड़ा। आगे पढ़ें-बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर दौड़ते देखकर लोगों को लगा भूत होगा, लेकिन यह था जुगाड़ का कमाल

412

जयपुर, राजस्थान. राजस्थान के बारां जिले के बमोरी कलां गांव के रहने वाले 20 वर्षीय योगेश नागर ने रिमोर्ट से ट्रैक्टर चलाकर सबको चकित कर दिया था। यह मामला कुछ समय पहले मीडिया की सुर्खियों में आया था। योगेश किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बीमार रहते थे। लिहाजा योगेश को बीएससी की पढ़ाई पूरी करके अपने गांव लौट आना पड़ा। यहां उन्होंने पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया। इसी बीच खाली बैठे उन्हें आइडिया आया और ऐसा रिमोट बना दिया, जो ट्रैक्टर को चलाता है।  आगे पढ़ें-साइकिल की जुगाड़ से निकाला किसान ने कई समस्याओं का 'हल'..जानेंगे नहीं इसकी खासियत

512

धनबाद, झारखंड. जुगाड़ से बनी यह साइकिल धनबाद के झरिया उपर डुंगरी गांव से चर्चा का विषय बनी थी। इसे तैयार किया था मैट्रिक पास किसान पन्नालाल महतो ने। आमतौर पर किसान ट्रैक्टर या बैलों से खेतों की जुताई करते हैं। खेत सींचने के लिए बड़ी मोटर लगानी पड़ती हैं। ऐसी तमाम समस्याओं का एक मात्र 'हल' बन सामने आई यह साइकिल। इसमें दो हॉर्स पॉवर के मोटरपंप को लगाया गया है। यानी साइकिल से खेत जोइए और ट्यूबवेल या कुएं से पानी निकालकर सिंचाई भी कीजिए। पन्नालाल ने इस साइकिल का निर्माण महज 10000 रुपए में किया था। इसमें साइकिल के पिछले पहिये को हटाकर उसमें तीन फाड़(खेत जोतने लोहे का फर्सा) लगाया गया है। इस जुगाड़ की साइकिल के चलाने के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। अगर केरोसिन खत्म हो जाए, तो साइकिल को धक्का देकर भी खेत जोता जा सकता है। साइकिल का पिछला पार्ट हटाकर उसमें मोटर फिट कर दी गई है। आगे पढ़ें-ऐसी जुगाड़ गाड़ी कभी देखी है, बच्चा है...लेकिन कर लेती है कम खर्च में बड़े ट्रैक्टरों के काम

612

पश्चिम सिंहभूम, झारखंड. कबाड़ की जुगाड़ से हाथ के सहारे चलने वाले इस मिनी ट्रैक्टर का निर्माण करने वाले देव मंजन बैठा के खेत पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर पोटका में हैं। देव मंजन ने इस मिन ट्रैक्टर का निर्माण पुरानी मोटरसाइकिल, पानी के पंप और स्कूटर के पार्ट्स को जोड़कर किया है। वे पिछले 9 सालों से इस मिनी ट्रैक्टर के जरिये खेती-किसानी कर रहे हैं। देव 10वीं पास हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से वे आगे नहीं पढ़ पाए, तो खेती-किसानी करने लगे। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण पर मुश्किल से 5000 रुपये खर्च हुए हैं। इससे लागत सीधे 5 गुना कम यानी 70-80 रुपए पर आ गई। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...

712

रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना!  ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं।  केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। 

812

सोनीपत, हरियाणा.  यह हैं गोहाना के गांव सैनीपुरा के रहने वाले किसान सत्यवान। इन्होंने पुराने थ्रेसर से यह देसी जुगाड़ की मशीन (Desi jugaad machine) बनाई है। इसे ट्रैक्टर से जोड़कर चलाते हैं। सत्यवान के पास 4 एकड़ जमीन है। 8 साल पहले वे मैकेनिक थे। फिर खेती-किसानी करने लगे। पहली बार 2012 में उन्होंने धान की फसल उगाई। पहली बार मजदूर मिल गए। लेकिन 2014 में मजदूर नहीं मिलने से काफी दिक्कत हुई। नुकसान भी उठाना पड़ा। इसके बाद सत्यवान ने एक छोटी-सी मशीन बनाई। यह बिजली की मोटर से चलती थी। यह मशीन उतनी सफल नहीं रही। इसके बाद उन्होंने एक पुराना थ्रेसर खरीदा। उसके अंदर के सभी पार्ट निकालकर धान झाड़ने वाली मशीन का निर्माण किया। इस मशीन के निर्माण पर करीब 4 लाख रुपए खर्च हुए। 

912

भिवानी, हरियाणा. जब बिजली से चलने वाली मशीन से चारा काटा जाता है, तो चारे के कण हवा में उड़ने लगते हैं। यह सिर्फ न पॉल्युशन फैलाते हैं, बल्कि सांस के जरिये चारा काटने वाले के फेफड़ों में जाकर बीमारी भी पैदा कर सकते हैं। यही नहीं, असावधानी से अगर मशीन के ब्लेड के पास आ गए, तो शरीर कटने का डर भी बना रहता है। इस किसान ने इसका देसी जुगाड़ निकाला। उसने मशीन के ब्लेड वाले हिस्से को ट्रैक्टर के पुराने टायर से कवर कर दिया। इससे अब न चारा हवा में उड़ता है और न दुर्घटना का खतरा। इसे बनाया है बलियाली के किसान बलविंद्र ने।

1012

धमतरी, छत्तीसगढ़. यह हैं 67 वर्षीय रिक्शा चालक कैलाश तिवारी। ये ई-रिक्शा की बैटरी को लेकर परेशान थे। तिवारीजी ने दिमाग दौड़ाया और रिक्शा के ऊपर सोलर प्लेट (Solar Plate) लगा दी। अब इसके जरिये बैटरी लगातार चार्ज होती रहती है। ई-रिक्शा पर उनके करीब 40 हजार रुपए खर्च हुए। सोलर प्लेट लगने के बाद अब उनकी कमाई बढ़ गई है। 

1112

यह मामला यूपी के चित्रकूट में रहने वाले दो भाइयों सुरेश चंद्र(49) और रमेश चंद्र मौर्य(45) से जुड़ा है। मऊ तहसील के ग्राम उसरीमाफी के रहने वाले इन भाइयों ने ट्रैक्टर का काम करने वाली सस्ती मशीन बनाई है। इसे 'किसान पॉवर-2020' नाम दिया है। ये दोनों भाई मूर्तियां और गमले बनाते थे। फिर किसानों की समस्या देखकर मशीन बनाने का आइडिया आया। जो गरीब किसान ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते...उनके लिए यह मशीन फायदेमंद है।

1212

यह मामला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर का है। निंबोला क्षेत्र के एक किसान के तीन बेटों ने बेकार पड़े पाइपों के जरिये धमाका बंदूक बना दी। दरअसल, किसान खेतों में सूअर और अन्य जानवरों के घुसने से परेशान था।  हर साल उसकी लाखों की फसल खराब हो जाती थी। पटाखे आदि काम नहीं करते थे। इस बंदूक से ऐसा धमाका होता है कि जानवर डरके भाग जाते हैं। बता दें कि यह बंदूक बनाने वाले मनोज जाधव 8वीं, पवन जाधव 7वीं  तक पढ़े हैं। सिर्फ जितेंद्र पवार ग्रेजुएट हैं। इसकी आवाज 2 किमी तक सुनाई पड़ती है। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos