आंखों से बहते आंसू और सामने खुली किताब, अपनों को खोने के 6 दिन बाद कर रहे परीक्षा की तैयारी
कोटा. बूंदी बस हादसे को एक सप्ताह हो चुका है। मृतकों के परिजन अभी भी सदमे में हैं। इस हादसे ने 11 साल के सौम्य और जिया का सब कुछ छीन लिया। सौम्य के माता-पिता और छोटे भाई की मौत हो गई, वहीं जिया के भी माता-पिता और छोटी बहन की जान चली गई। दोनों अक्सर चुप रहते हैं और अपनी पढ़ाई करते रहते हैं। जब उनके घर उनको कोई ढांढस बंधाने आता है तो वह उनके गले लगकर रोते हैं। सौम्य चौथी क्लास में पढ़ता है और कुछ समय बाद उसकी परीक्षा होनी वाली है। बता दें, 26 फरवरी दिन बुधवार सुबह 10 बजे बूंदी की मेज नदीं में एक बारातियों से भरी बस गिर गई थी। बस में कुल 30 लोग सवार थे। जिसमें 24 की मौके पर मौत हो गई, जबकि 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे में मारे गए मामा पक्ष अपनी भांजी प्रीति की शादी के लिए कोटा से सवाई माधोपुर जा रहा था।
Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2020 8:40 AM IST / Updated: Mar 03 2020, 03:02 PM IST
मासूम सौम्य दर्द को एक तरफ रखकर पढ़ाई कर रहा है। लेकिन बीच में पढ़ते-पढ़ते रोने भी लगाता है। एक सप्ताह पहले जहां उसको मां मिथलेश और पिता दिनेश पढ़ाते थे, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं रहे। अब उसके दोस्त की मम्मी सौम्य को पढ़ाने के लिए अपने घर ले जाती हैं।
जिया को उसके परिजन और शिक्षकों, कक्षा के साथियों ने जब उसको हिम्मत बंधाई तो वह सबकुछ भूलकर अपनी पढ़ाई करने लगी है। मासूम ने रोते हुए कहा-मैं परीक्षा में अच्छे नंबर लाऊंगी ताकि मेरे माता-पिता का सपना पूरा हो सके। (यह फोटो हादसे वाले दिन की है)
सौम्य के चाचा मनीष ने बताया, मेरा भतीजा सोमवार को ही अपने माता-पिता और भाई की अस्थियां विसर्जित करके हरिद्वार से लौटा है। लेकिन वह सब गम भूलकर पढ़ाई पर ध्यान दे रहा है। मेरे भैया दिनेश अपने बेटे सौम्य को डॉक्टर बनाना चाहते थे।
बस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले मुराली लाल धोबी के मोहल्ले में मानों हादसे के बाद से सन्नाटा-सा पसरा हुआ है। मुरारी लाल बसंत विहार कॉलोनी में रहते थे। उन्हें क्या मालूम था कि जिंदगी ऐसा खेल भी दिखाएगी। इस एक ही परिवार के 10 लोगों की मौत हुई है।
ये हैं अनीता। इनके पति रमेश भी इसी बस हादसे में चल बसे। उनके दोनों बच्चे (8 साल के मोहित और 6 साल की प्रीति) मां से बार-बार पूछते पापा कब आएंगे?
बूंदी बस हादसे के गवाह रामेश्वर मीणा ने बताया कि जब बस नदी में गिरी..तब वे वहां से महज 100 मीटर दूरी पर थे। बस नीचे गिरते ही दूर-दूर तक घायलों की चीखें सुनाई पड़ रही थीं। वे फौरन वहां दौड़े। कुछ गांववाले भी पहुंचे और घायलों को निकालने में जुट गए।
हादसे के बाद जब एक साथ 21 लोगों की अंतिम यात्रा निकली..तो देखकर लोगों का कलेजा फट पड़ा। यूं लग रहा था कि जैसे किसी महामारी ने तांडव बरपाया हो। एक साथ कई चिताएं जलते देखकर लोगों की रुलाई छूट गई। अंतिम यात्रा में शामिल लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भावुक होकर बोले-'इतना भयानक मंजर उन्होंने अपनी लाइफ में कभी नहीं देखा।'