Published : Feb 25, 2020, 12:33 PM ISTUpdated : Feb 25, 2020, 12:57 PM IST
सीकर (राजस्थान). दिल्ली में सोमवार को हुई हिंसा में पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई। जवान अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं। पत्नी पूनम ने जैसे ही पति की मौत की खबर मीडिया के जरिए लगी तो वह बेहोश ही हो गईं और बच्चों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। रतन लाल के गांव में भी उनकी मौत की खबर से मातम पसरा हुआ है। उनके छोट भाई दिनेश ने बताया कि जैसे ही हमने उनकी मौत की खबर सुनी तो टीवी बंद कर दी। उन्होंने बताया कि भैया ने मां से होली पर गांव आने का वादा किया था। लेकिन मां के साथ होली मानने वाला उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि राजस्थान के सीकर जिले में रतन लाल के गांव में भी उनकी मौत की खबर से मातम पसरा हुआ है। रतनलाल मूलरूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे। वह वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही भर्ती हुए थे। फिलहाल वो दिल्ली के गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी अनुज के ऑफिस में तैनात थे।
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रतन लाल की दो बेटियां सिद्धि (13), कनक(10) और बेटा राम (5) पीछे छोड़ गए हैं। तीनों बच्चे एनपीएल स्थित दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते हैं। मासूम पापा को याद करके बिलख रहे हैं। वह नम आंखों से कह रहे हैं कि पापा ने होली पर गांव जाने का वाद किया था।
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42 साल के रतनलाल परिवार में कमाने वाले इकलौते थे। जानकारी के मुताबिक वह सोमवार को बुखार होने के बावजूद ड्यूटी पर गए थे। वे पत्नी और तीन बच्चों के साथ बुराड़ी में रहते थे। उनके शहीद होने की खबर के बाद रिश्तेदारों का उनके घर पहुंचना शुरू हो गया। उनके घर में मातम का माहौल है।
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रतन लाल के भाई दिनेश लाल ने बताया, भैया “वे एक सच्चे देशभक्त थे उन्होंने बचपन से ही ठान लिया था कि उनको पुलिस या सेना में भर्ती होना हैं। पुलिस में होने के बाद भी उनका स्वभाव बहुत शांत था। उनको देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि वो पुलिस की नौकरी करते हैं।
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रतनलाल सन् 1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। साल 2004 में जयपुर की रहने वालीं पूनम से उनका विवाह हुआ था।
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रतनलाल दिल्ली पुलिस में हवलदार थे। वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सोमवार को भड़के दंगे में फंस गए थे। दयालपुर थाना क्षेत्र में दंगाइयों की भीड़ ने उन्हें घेरकर मार डाला था।
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रतनलाल के एक अन्य छोटे भाई दिनेश ने कहा कि वो तो गोकुलपुरी के एसीपी के रीडर थे। उनकी ड्यूटी किसी थाने में नहीं थी। वो तो एसीपी साहब के साथ मौके पर चले गए थे। उनका भाई बहुत सीधा इंसान था। उसने कभी किसी पर पुलिसिया रौब नहीं झाड़ा। उल्लेखनीय है कि ट्रम्प के दौरे पर CAA का विरोध उग्र हो गया था।
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रतन ने दो दिन पहले ही मां संतरा देवी व भाई दिनेश से फोन पर बात की थी। रतनलाल के पिता बृजमोहन की ढाई साल पहले ही मृत्यु हो गई थी।
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पूनम पति की मौत की खबर सुनकर अपनी सुधबुध खो बैठी थीं। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उनके पति का क्या कसूर था.. उन्हें क्यों मार दिया गया?