अपने 'हीरो' पिता को याद करके रो पड़ा 5 साल का बेटा, फिर आंसू पोछकर दहाड़ा, 'पाकिस्तान मुर्दाबाद'
जयपुर, राजस्थान. इस देश का कोई भी नागरिक 'पुलवामा अटैक' को नहीं भूल सकता। इस आतंकवादी हमले में भारत ने अपने 40 वीर जवान खोये थे। लेकिन वीरों की शहादत कभी बेकार नहीं जाती। देश आतंकवाद के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ा था और आगे भी खड़ा रहेगा। इन्हीं वीरों ने दुश्मनों और आतंकवादियों की कमर तोड़कर रखी हुई है। जिन घरों ने अपने बहादुर सपूत देश पर न्यौछावर किए..उनके दिलों में दु:खों का समंदर तो है, लेकिन फक्र भी है कि उनमें से किसी का भाई...पिता..बेटा या पति..देश के काम आया। देशभक्ति से बड़ा कोई गौरव नहीं। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में आतंकवादियों ने CRPF काफिले पर हमला किया था। हालांकि इस हमले के बाद भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया था। ये तस्वीरें..राजस्थान के उन वीरों के परिजनों की हैं, जिन्होंने पुलवामा में अपनी शहादत दी थी।
यह है कोटा जिले के सांगोद गांव के रहने वाले शहीद हेमराज मीणा का बेटा ऋषभ। पुलवामा अटैक के वक्त यह 5 साल का था। जब हेमराम की अंत्येष्टि हुई, तब मासूम पिता को याद करके फूट-फूटकर रो पड़ा। हालांकि फिर बच्चे ने खुद ही अपनी आंसू पोछे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे।
धौलपुर जिले के जैतपुर के रहने वाले भागीरथ कंसाना के पार्थिव शरीर पर माथ टेककर नमन करता उनका मासूम बेटा। अपने पति की शहादत पर गर्व करते हुए पत्नी ने कहा था, मेरे बच्चे दुश्मन से बदला लेंगे। वो अपने बच्चों को भी सेना में भेजेगी।
अमरसर की शाहपुरा ग्राम पंचायत गोविंदपुरा बासड़ी के रहने वाले शहीद रोहिताश लांबा की मां घीसी देवी घंटों यूं ही रोती रहीं। लेकिन वे यह भी कहती रही कि आज उनका बेटा नहीं है, लेकिन वो देश पर अपनी जान देकर अमर हो गया।
राजसमंद के रहने वाले शहीद नारायण गुर्जर का अंतिम संस्कार करते वक्त उनका बेटा लगातार रोता रहा। लेकिन उसने यह भी कहा कि उसे पापा पर गर्व है।
यह तस्वीर भरतपुर जिले के सुंदरावली गांव के शहीद जीतराम की अंतिम यात्रा की है। अपने गांव के वीर को अंतिम सलामी देने मानों सैलाब उमड़ पड़ा था।