बता दें कि अंजलि के इस कदम के पीछे भी उनकी एक भावुक कहानी है। अंजलि ने बचपन में ही पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होने की ठान ली थी। वो 12वीं के बाद शहर जाने वाली थी, पिता ने इसमें भरपूर बेटी का साथ दिया, लेकिन लोगों ने उसके पिता को ताने देने शुरू कर दिए। कहने लगे कि बेटी को पढ़ाकर आईएएस या कलेक्टर बनाना चाहते हो क्या। अंजलि ने पढ़ने की जिद नहीं छोड़ी और स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली। लेकिन लोगों की बातें उसके मन में घर कर गईं और वह मन ही मन कचोट रही थीं। इसलिए अंजलि यह शानदार फैसला किया।