रेल मंत्री के चाहने वाले इतने थे कि माता-पिता से मुलाकात का समय ही कम पड़ गया। क्योंकि वह एक दिन के लिए ही यहां पर आए हुए थे। पिता को बेटे को बताने के लिए बहुत सारी बातें थीं, लेकिन समय ही कम था, ऐसे में उन्होंने मंत्री बेटे के लिए एक चिट्टी दी और कहा इसमें मैंने अपनी सारी बातें लिखी हुई हैं, जब वक्त मिले तो पढ़ लेना। हालांकि पिता ने बेटे के आग्रह पर यह लेटर पढ़कर सुनाया। जिसमें उन्होंने लिखा था कि जो जिम्मेदारी मिली है उसे ईमानदारी से निभाना।