दरअसल, अपने पैरों पर खड़े होकर बुलंदियों को छूने वाले यह कहानी मध्य प्रदेश के रहने वाले राहुल तनेजा की है। 1984 में वे जयपुर शिफ़्ट हो गए और यहीं अपने परिवरा के साथ रहते हैं। राहुल के पिता कभी पंक्चर बनाने का काम करते थे। 11 साल की उम्र में राहुल ने घर छोड़कर काम करना शुरू कर दिया था। वह एक ढाबे पर 150 रुपए में नौकरी करते थे। इसी नौकरी को करते हुए उन्होंने जयपुर के आदर्श विद्या मंदिर में पढ़ाई भी की। राहुल अपने दोस्तों की किताब और कॉपी मांगकर पढ़ाई करते थे, जिसकी दम पर 12वीं में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए।