हादसे में मारे जाने वाले सभी लोग बैंड बजाने, मंदसौरी ढोल बजाने और लोकनाट्य वीर तेजाजी के खेलों का मंचन करते थे। यह लोग गा-बजाकर ही अपने परिवार का पेट पालते थे, लेकिन अब उनके मरने बाद परिवारों में पीछे कमाने वाला कोई नहीं रहा। किसी के छोटे-छोटे मासूम बच्चे बिलख रहे हैं तो किसी की पत्नी बेसुध है।