ताबूत में रखे शहीद पति के शव को एकटक निहारती रही पत्नी, रूला देंगी अंतिम विदाई की ये तस्वीरें

सीकर. कांगों में शहीद हुए सीकर के बीएसएफ के जवान शिशुपाल सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। बलारां थाने से 18 किलोमीटर दूरी की करीब चार किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा के बीच देशभक्ति गीतों व नारों के बीच शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव बगडिय़ों की ढाणी पहुंचा। जहां पत्नी कमला देवी ने सलामी के साथ जयहिंद व वंदे मातरम कहकर पति की शहादत को नमन किया। पिता झाबर सिंह, मां पार्वती देवी के अलावा शहीद के बेटे प्रशांत व बेटी कविता ने भी गम को गर्व के भाव तले दबाए रखा। सभी ने देश के लाडले को  जज्बे के साथ सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी। आइए देखते हैं फोटो में शहीद के परिवार ने किस तरह से दी अंतिम विदाई। 
 

Pawan Tiwari | Published : Aug 1, 2022 9:12 AM IST

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ताबूत में रखे शहीद पति के शव को एकटक निहारती रही पत्नी, रूला देंगी अंतिम विदाई की ये तस्वीरें

शहीद का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। अतिम के अंतिम संस्कार में कई गावों के लोग शामिल हुए। इस दौरान लोग जिंदाबाद के भी नारे लगाते रहे। वहीं, पत्नी अपने शहीद पति को बड़े गौर से निहारती रही। 

 

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शहीद वीरांगना कमला कुमारी व बेटी कविता ने इस दौरान मीडिया के सामने अपनी पीड़ा भी बयां की। वीरांगना ने कहा कि उन्हे गर्व है कि उनके पति ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में शहादत दी है।
 

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पति को अंतिम विदाई देने के लिए पत्नी अंत्येष्टि स्थल भी पहुंची। जहां भी पहले तो वह अपनी हिम्मत बांधे रही, लेकिन जैसे ही बेटे प्रशांत ने शहीद के दाह संस्कार के लिए मुखाग्नि दी तो वह खुद को नहीं रोक पाई। उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह चली। बड़ी मुश्किल से नजदीकी लोगों ने उसे संभाला। 

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उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि पति की शहादत के छह दिन बाद भी सरकार का कोई प्रतिनिधि उनकी सुध लेने नहीं आया। यहां तक कि पीसीसी चीफ और लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने भी हमारी कोई सुध नहीं ली। (पिता का अंतिम संस्कार करने जाता बेटा)
 

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वीरांगना ने कहा कि मेरी केंद्र सरकार और राज्य सरकार से मांग है कि देश के सैनिकों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए। साथ ही मेरे पति जो शांति मिशन में इस तरीके से शहीद हुए हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिए। (ताबूत में रखे शव को निहारती पत्नी )
 

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शहीद की बेटी कविता ने कहा कि उसके शहीद पिता परिवार से ज्यादा देश की सेवा को महत्व देते थे। लेकिन, उनकी शहादत के बाद   6 दिन तक जयपुर में रहने पर भी सरकार का कोई नुमाइंदा उनकी सुध लेने नहीं आया। ये तक नहीं बताया गया कि पिता की पार्थिव देह कब आएगी। (शहीद को सैल्यूट कर विदाई देती पत्नी, बेटी और बेटा)
 

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कविता ने कहा कि पापा की कांगों में शहादत के मामले की जांच होनी चाहिए। साथ ही जो सैनिक ड्यूटी में लगे रहते हैं। उनकी भी सुरक्षा की जिम्मेदारी होनी चाहिए। (शहीद को अंतिम विदाई देते समय सभी लोग भावुक हो गए)
 

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वहीं, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि इस परिवार के लिए सभी राजनीतिक दल एक साथ खड़े हैं। शहीद परिवार को किसी भी तरीके की कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी।
 

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शहीद वीरांगना की बात पर जवाब देते हुए पीसीसी चीफ ने कहा कि मैं कोविड पॉजिटिव था। ऐसे में नही आ सका। डोटासरा ने कहा कि गांव की स्कूल का नामकरण शहीद शिशुपाल किया जाएगा। साथ ही शहीद की बेटी कविता जो डॉक्टर है। जिसकी बात को ध्यान में रखते हुए पीएचसी खोली जाएगी। 
 

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वहीं, पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष ने शहीद की मूर्ति बनवाने की घोषणा की है। बता दें कि बीते मंगलवार को शिशुपाल सिंह कांगो में उग्रवादियों के हमले के बाद शहीद हो गए थे।

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