जब lesbian होने के कारण इस खिलाड़ी को किया था कॉमनवेल्थ से बाहर, बुलेट से तेज दौड़ रचा था इतिहास

स्पोर्ट्स डेस्क : आज भले ही हमारे समाज में लड़कियों को बराबरी का दर्जा दिया जाता हो, लेकिन कई जगह ऐसी भी है, जहां उन्हें आज भी कमजोर समझा जाता है और दबाया जाता है। जब बात समलैंगिकता की आती है, तो समाज में इस बहुत ही हीन भावना के साथ देखा जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ था भारत की धावक दुती चंद (Dutee Chand) के साथ जिन्हें lesbian होने के कारण ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में अयोग्य करार दिया गया था। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने उस खेल में भाग भी लिया और बेहतरीन रिकॉर्ड अपने नाम भी किया। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (women's day 2021) के मौके पर हम आपको मिलवाते हैं, भारत की इस यंग एंड सुपर टैलेंटेड दुती चंद से और बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी लाइफ में स्ट्रगल किया..

Asianet News Hindi | Published : Mar 8, 2021 3:57 AM IST / Updated: Mar 08 2021, 06:00 PM IST
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जब lesbian होने के कारण इस खिलाड़ी को किया था कॉमनवेल्थ से बाहर, बुलेट से तेज दौड़ रचा था इतिहास

भारत की बेहतरीन महिला धावक, 100 मीटर की नेशनल और हाल ही में ग्रैंड पीक्स 2 में गोल्ड मैडल जीतने वाली दुती चंद ने 2019 में एक खुलासा करके पूरी दुनिया को चौंका दिया था। 

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दुती पहली ऐसी भारतीय महिला एथलीट हैं जिन्होंने समलैंगिक होने की बात सार्वजनिक तौर पर कबूल की है। एक इंटव्यू के दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि वह समलैंगिक है और पिछले पांच सालों से एक लड़की के साथ रिलेशन में हैं।

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दुती चंद ने अपने रिलेशन के बारे में बात करते हुए कहा था कि मुझे कोई ऐसा मिल गया है जो मुझे अपने जान से भी प्यारा है। मुझे ऐसा लगता है कि हर किसी को इस बात की आजादी होनी चाहिए कि वो किसके साथ रहना चाहता है और किसके साथ अपना रिश्ता बनाना चाहता है। उनके इस बयान के बाद कई जगह उन्हें बाते भी सुननी पड़ी थी। 

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LGBTQ को भले भी सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दे दिया हो, लेकिन समाज में आज भी इसे हीन भावना से देखा जाता है। दुती के घर वालों को भी उनका रिश्ता मंजूर नहीं था। गांव वालों ने इस संबंध को स्वीकार नहीं किया। ऐसे में दुती और उनकी पार्टनर का गांव में रहना मुश्किल हो गया था।

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इतना ही नहीं, शरीर में अधिक पुरुष हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) होने की वजह से उन्हें जुलाई 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों के कुछ दिन पहले ही अयोग्य करार दिया गया था। हालांकि कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने दुती के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके बाद उन्होंने रिओ ओलिंपिक और दूसरी बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

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इसके बाद इटली में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में उन्होंने इतिहास रच दिया। वह महिलाओं के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला बनीं। दुती ने 100 मीटर रेस को महज 11.32 सेकंड में पूरा कर लिया था।

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हाल ही में इंडियन ग्रैंड प्रिक्स 2 में हुई 100 मीटर रेस में भी दुती चंद ने अपनी जीत का डंका बजाया है। इस एथलीट ने 100 मीटर रेस को 11.44 सेकेंड में पूरा कर गोल्ड मैडल जीता।

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3 फरवरी 1996 को उड़ीसा के छोटे से गांव गोपालपुर की रहने वाली इस महिला एथलिट ने कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए है। 2012 में अंडर -18 कैटेगरी में दुती नेशनल चैंपियन बनीं। उन्होंने 100 मीटर रेस में 11.2 सेकंड का समय लिया। इसके बाद उन्होंने पुणे में आयोजित एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2013 में 'महिला 200 मीटर इवेंट' में कांस्य मैडल जीता था। उसी साल वर्ल्ड यंग चैंपियनशिप में 100 मीटर एथलेटिक्स के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय भी बनीं।

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हालांकि दुती का एथलीट बनने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ। एक समय था जब ट्रेनिंग किट लेने के लिए उनके घर वालों के पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नंगे पैर ही दौड़ना शुरू कर दिया। दुती जब 4 साल की थी, तब से उन्होंने दौड़ना शुरू कर दिया थी। उनकी बड़ी बहन सरस्वती चंद उनकी प्रेरणा रही, वह एक स्टेट लेवल रनर थी।

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