डस्ट लेडी से लेकर जिंदा जलने वाले इंसान तक, 9/11 अटैक के 9 Survivors से जानें उस दिन की खौफनाक कहानी

वॉशिंगटन. अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के 20 साल हो चुके हैं। लेकिन हमले वाले दिन दर्द और दहशत की जो तस्वीर दुनिया ने देखी, उसे आज तक भुलाया नहीं जा सका है। सोचिए उन लोगों का क्या हाल होगा, जो उस घटना के चश्मदीद थे। वहां पर गिरती हुईं बिल्डिगों और जलती हुई आग की लपटों के बीच थे। वहां घटना के बाद वातावरण में छाई धुंध और हवा में फैले विषैले धुएं को जिसने झेला। सांसों के जरिए अपनी बॉडी के अंदर लिया। उनका क्या होगा? शायद ही 9/11 के चश्मदीदों को याद कर नींद आती हो। जानें 9 चश्मदीदों के जरिए हादसे की पूरी कहानी...?
 

Vikas Kumar | Published : Sep 9, 2021 2:21 PM IST / Updated: Sep 11 2021, 07:22 AM IST
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डस्ट लेडी से लेकर जिंदा जलने वाले इंसान तक,  9/11 अटैक के 9 Survivors से जानें उस दिन की खौफनाक कहानी

1- मार्सी बॉर्डर्स। जन्म के बाद माता-पिता ने इनका यही नाम रखा था। लेकिन 9/11 की घटना ने इनका नाम भी बदल दिया। आतंकी हमले के बाद इन्हें डस्ट लेडी के नाम से पुकारा जाने लगा। जानते हैं क्यों? क्योंकि जब विमान बिल्डिंग से टकराए, तो ये भी वहीं मौजूद थीं। गिरती इमारतों से जो धूल उड़ी, उसमें मार्सी बॉर्डर्स को ढक दिया। घटना के बाद ये सड़क पर डगमगाती हुई जाती हुई दिखीं। हादसे के वक्त मार्सी बैंक ऑफ अमेरिका में नई-नई नौकरी शुरू की थी। फोटोग्राफर स्टेन होंडा ने डस्ट लेडी की तस्वीर ली थी। घटना को याद करते हुए मार्सी कहती हैं कि यह ऐसा था जैसे मेरी आत्मा को उन टावरों से गिरा दिया गया था। अब जब भी मैंन कोई विमान देखती हूं तो घबरा जाती हूं। बॉर्डर्स पूरी तरह से ठीक हो गई थी, लेकिन चार साल बाद पेट के कैंसर से मर गईं।

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2- 9/11 के हमले के चश्मदीद लॉरेन मैनिंग भी हैं। आतंकी हमले में उनका शरीर 80% से अधिक जल गया। वे बताते हैं कि हादसे के बाद जब भी किसी डॉक्टर ने मुझे देखा तो आश्चर्य किया। उन्होंने कहा कि हादसे में मैं बच कैसे गया। ऐसी हालत में तो मुझे मर जाना चाहिए था। हादसे के वक्त लॉरेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर में एंट्री कर रहे थें। तभी एक विमान विल्डिंग से टकहमराया और सब ध्वस्त हो गया। लॉरेन ने कहा कि टक्कर के बाद चंद मिनटों में मैं आग की लपटों से घिर गया। मैं जिंदा जल रहा था। इसके लिए और कोई शब्द नहीं हैं।
  

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3- ब्रिटान चार्ली ग्रे भी उन चश्मदीदों में से एक हैं जिन्होंने 9/11 के हमले को अपनी आंखों से देखा। हादसे के वक्त वे नॉर्थ टॉवर में काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अचानक ही पूरी बिल्डिंग हिलने लगी। ऊपरी बिल्डिंग से मलबा गिरने लगा। हमने सोचा कि यह बम जैसा कुछ होना चाहिए। चार्ली और उसके साथियों ने टावर से नीचे उतरना शुरू किया, लेकिन कई लोग बीच में ही मौत के मुंह में समा गए। कुछ फायर ब्रिगेड के लोग हमारे पास से गुजर रहे थे। उनके रेडियो पर हमने सुना कि विमान साउथ टॉवर से टकराया है। चार्ली वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बाहर के सीन को किसी युद्धक्षेत्र की तरह बताते हैं। उन्होंने सड़क पर शरीर के अंगों और कारों को देखा जो मलबे में गिर रहे थे।   
 

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4- चश्मदीदों में फ्लोरेंस जोन्स का भी एक नाम है। जब पहला विमान टकराया तो उन्होंने लोगों को बिल्डिंग से बाहर भागते हुए देखा। उन्होंने कहा कि मैंने लोगों को बिल्डिंग से कूदते हुए देखा। वे जान बचाने के लिए कूद रहे थे। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि नीचे भी मौत उनका इंतजार कर रही है। फ्लोरेंस बताते हैं कि कई बार सपनों में वह मंजर आता है तो नींद खुल जाती है। अचानक जाग जाते हैं। उनके जहन में 9/11 की घटना ऐसी छाप छोड़े हुए है जो मौत के बाद ही खत्म होगी। उन्होंने बताया कि जब विमान टकराया तो फ्लोरेंस को बचने के लिए अपना रास्ता खुद बनाना पड़ा। अपने साथियों के साथ वे एक दूसरे का हाथ और शर्ट पकड़कर धीरे-धीरे नीचे आ रहे थे।
 

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5- डाना नेल्सन 9/11 के वक्त 14 साल की थीं। वे अपने क्लासमेट्स के साथ 11 सितंबर 2001 को स्टुवेसेंट हाई स्कूल की नौवीं मंजिल पर बैठी थीं। जब पहला विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराया, तो उन्होंने हादसे को अपनी क्लास में बैठे हुए खिड़की से देखा। उस दिन मैनहट्टन में सैकड़ों लोगों की तरह वह भी जहरीली धूल और मलबे के बीच वहां से भाग गईं। एक महीने बाद उसी बिल्डिंग में क्लास शुरू हुई।  
 

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6- 9/11 के वक्त कर्नल मर्लिन विल्स सब कुछ देख रही थीं। उन्होंने बताया था कि और दिनों की तरह ये भी एक सामान्य दिन था। हादसे के वक्त वे एक मीटिंग में थीं। विस्फोट के बाद पूरे कमरे में धूल भर गई थी। उन्होंने खुद सहित दूसरे लोगों को बाहर निकलने में मदद की। धूएं में रेंगते हुए वे कमरे से बाहर निकलीं। उन्होंने जमीन पर पड़े लोगों को उठा लिया। उन्हें बाहर निकालने में भी मदद की। जलने और धुएं की वजह से व 13 दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती थी। उसके बाद काम पर वापस लौटीं।  
 

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7- विल जिमेनो भी 9/11 हमले में से एक हैं। इन्हें कई घंटों के बाद मलबे से बाहर निकाला गया था। 9/11 को याद करते हुए जिमेनो कहते हैं कि कोई बारी चीज तेजी से मेरे सिर से टकराई। मैं वहीं पर गिर गया। फिर आंख खुली तो हॉस्पिटल में था। वे कहते हैं कि हादसे के बाद मैंने एक चीज सीखी, कभी हार न मानना। यह लगभग ऐसा है जैसे आप पुनर्जन्म ले रहे हैं।
 

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8- गे सैंडर्स भी हमले के चश्मदीदों में से एक हैं। उन्होंने बताया कि मेरे साथ ऐसा हो रहा था कि लोग मुझसे मदद मांग रहे थे और मैं उनकी मदद नहीं कर पा रहा था। ऐसा कभी भी मेरे साथ नहीं हुआ। ये घटना मेरी जिंदगी में कभी न भूलने वाली है। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद मुझे कई बीमारियों का सामना करना पड़ा। बीमार रहने की वजह से मुझे जल्द ही नौकरी से रिटायर भी होना पड़ा। हादसे के वक्त तो मैं बच गया था, लेकिन वहां धुएं के गुबार से मेरी जिंदगी में कई बीमारियों ने जन्म ले लिया।
 

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9- 9/11 हादसे के चश्मदीद रिटायर्ड अधिकारी केन विंकलर भी हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे आतंकी हमले को कैसे देखते हैं तो उन्होंने एक लाइन में कहा कि नरक को देखना हो तो 9/11 की तस्वीरें देख लीजिए। उस वक्त वहां की स्थिति किसी नरक से कम नहीं थी। लोग बिल्डिंगों से कूद रहे थे। मलबे में सैकड़ों लोग दबे हुए थे। हर तरफ चीख-पुकार मची थी। मदद करना चाहे तो भी संभवन हीं हो पा रहा था। केन हादसे के वक्त उस रेस्क्यू टीम में थे। 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद उनकी टीम ने वहां जो देखा, उसे पूरी जिंदगी नहीं भूल सके। 
 

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क्या था 9/11 का अटैक
अमेरिका में 9/11 को आतंकवादी हमला हुआ था। हमले में 2996 लोगों की मौत हुई। इस हमले को अंजाम देने के लिए अल कायदा ने 19 आतंकियों को लगाया था। आतंकियों ने 4 विमान हाईजैक किए थे। 11 सितंबर सुबह 8.46 से 10.28 के बीच आतंकियों ने दो विमान को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर्स से टकराया था। तीसरे विमान से पेंटागन पर हमला किया था। चौथा विमान पेंसिलवेनिया में क्रैश हो गया था। उस समय जॉर्ज डब्ल्यू बुश अमेरिका के राष्ट्रपति थे। 

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