मां की गोद से बच्चे गिर रहे थे, मरना ही इलाज बचा था, Bhopal Gas Tragedy की चौंकाने वाली कहानियां

नई दिल्ली. भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) को हुए 37 साल बीत गए। 3 दिसंबर 1984 (3 December 1984) की रात जो हुआ उसपर, 37 सालों में खूब कहा और सुना गया। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी है जो हर बार सुनी जानी चाहिए। इसकी वजह है। हमें और नई पीढ़ी को याद रहे कि आखिर उस काली रात को जिंदगी कितनी सस्ती हो गई थी। मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि चीखते-चिल्लाते लोग दम तोड़ रहे थे। जो बच गए, उनकी तीसरी पीढ़ी भी विकलांग पैदा हो रही है। इन कहानियों को इस लिए बार-बार कहा और सुना जाना चाहिए, क्योंकि पता रहे कि हमने कैसी और कौन सी गलती की थी, जिससे भारत के नाम पर दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी (Biggest Tragedy Of The World) का दाग लग गया। भोपाल गैस कांड की डराने वाली कहानियां...
 

Vikas Kumar | Published : Dec 3, 2021 5:06 AM IST / Updated: Dec 03 2021, 10:43 AM IST

15
मां की गोद से बच्चे गिर रहे थे, मरना ही इलाज बचा था, Bhopal Gas Tragedy की चौंकाने वाली कहानियां

"जो बच गए, उनकी जिंदगी मौत से बदतर हो गई थी"
भोपाल में एक जगह है जेपी नगर। वहां रहने वाली मुमताज बी के पति मोहम्मद सईद उस जहरीली गैस की जद में आ गए थे। मौत वाली उस रात को मोहम्मद सईद की किस्मत बुलंद थी, जो बच गए। लेकिन ऐसा बचना भी क्या बचना कि आगे की जिंदगी तड़पते हुए बीती। आए दिन बीमार हो जाना। ठीक से सांस न ले पाना। नतीजा हुआ कि साल 2018 में उनकी मौत हो गई। मुमताब बी बताती है कि मेरे पति की जिंदगी तो बच गई, लेकिन वे आए दिन बीमार रहते थे। दवा कराकर हार चुके थे। उनके फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हुए थे। 

25

"जिंदा रहने का एक ही रास्ता बचा था, सांस लेना बंद कर दें"
अगर आप भोपाल की गैस कांड प्रभावित बस्तियों में चले जाए तो वहां हर घर में त्रासदी की डराने वाली कहानियां सुनने को मिल जाती हैं। लोग बताते हैं कि कैसे उस रात दौड़ते-दौड़ते मौत से रेस हार गए। कैसे हवा में मौत फैली थी और जिंदा रहने का एक ही रास्ता बचा था कि सांस ही न ले। लेकिन भला ऐसा कैसे संभव होता। भोपाल गैस कांड प्रभावित बस्तियों में आज भी कहीं पर विकलांग बच्चे नजर आ जाते हैं तो कहीं पर विधवाएं। यहां रहने वाले लोगों में बीमारों की संख्या ज्यादा है। इतना ही नहीं।  

35


"उस रात जिंदगी से प्यारी मौत लग रही थी, मरना ही इलाज था"
भोपाल गैस त्रासदी की चश्मदीद रशीदा बी उस रात के बारे में सोचकर डर जाती है। वे बताती हैं कि उस रात काम करते-करते एक बज गए थे। तभी पास से आवाज आई। बाहर निकलो। बाहर धुआं-धुआं हो गया है। बाहर निकलकर देखा तो आंख से पानी गिरने लगा। चारों तरफ से आवाज आ रही थी। भागो-भागो। हमारा परिवार बड़ा था। हम भी भागने लगे, कहां भाग रहे थे। पता नहीं था। लेकिन बस भागना था। आधा किलोमीटर भी नहीं चले होंगे की आंखे लाल होने लगीं। सांस लेना मुश्किल हो रहा था। मां की गोद से बच्चे छूट रहे थे। जो गिरा वह गिरा ही रहा। उठा नहीं। जलन के मारे कुछ लोग आंखें बंद कर भाग रहे थे। आंख खुलती तो सामने लाशें ही लाशें दिखती थीं। कुछ लोग चिल्ला रहे थे। या अल्लाह मौत दे दे। हे भगवान मौत दे दे। उस दिन मौत प्यारी लग रही थी।  

45

जहरीली गैस से जेनेटिक बदलाव हुए, कई पीढ़ियां विकलांग
भोपाल के रहने वाले संजय उस खौफनाक दिन को याद करते हुए कहते हैं कि कोई चिल्ला रहा था तो कोई रो रहा था। सब कह रहे थे गैस निकल गई। सबको देखकर हमने भी भागना शुरू कर दिया। भागते-भागते चक्कर खाकर गिर पड़े। बेहोश हो गए। संजय कहते हैं कि भोपाल गैस कांड में उनकी बहन की मौत हो गई थी। दूसरी पीढ़ी आई। दो बच्चे हुए और दोनों ही दिव्यांग। डॉक्टर ने कहा कि इसका इलाज हमारे पास नहीं है। गैस से जेनेटिक बदलाव हुआ है। इसलिए ये बच्चे गलत तरीके से विकसित हो रहे हैं। 

55

3 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से रिसने वाली जहरीली गैस ने लोगों की जान ले ली। आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, भोपाल गैस त्रासदी में 3787 लोग मारे गए थे। बाद में आंकड़े अपडेट किए गए और ये आंकड़ा 2259 बताया गया। हालांकि, भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं ने मौत के आंकड़े 8000 से 10000 के बीच बताए हैं। 2006 में पेश किए गए एक एफिडेविट में सरकार ने कहा कि भोपाल गैस कांड में 558125 लोग घायल हुए, जिसमें लगभग 3900 गंभीर रूप और स्थायी रूप से विकलांग लोग शामिल हैं। 

ये भी पढ़ें...

पति ने क्यों कहा, डिलीवरी के वक्त लेबर रूम में तुम्हारा देवर भी रहेगा, ये सुनकर भड़क गई पत्नी

मेरा चेहरा-होंठ सबकुछ कॉपी कर लिया, एडल्ट डॉल के लिए खुद के चेहरे के इस्तेमाल पर भड़की मॉडल

नेता हो तो ऐसी: लेबर पेन हुआ तो साइकिल चलाकर हॉस्पिटल पहुंची, इसके बाद जो हुआ पूरी दुनिया कर रही सलाम

गजब का ऑफर: रोबोट में लगाने के लिए चेहरे की जरूर, छोटी सी शर्त पूरी करने पर मिलेंगे 1.5 करोड़ रुपए

Shocking: बेघर लड़की ठंड से बचने के लिए अपना जिस्म बेचती है, रात बीत जाए इसलिए पुरुषों के साथ सोती ह   

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos