Chhath Puja 2021 : घाटों पर आस्था का सैलाब, डूबते सूर्य को अर्घ्य, अब सूर्योदय का इंतजार, देखें Photos..

Published : Nov 10, 2021, 07:31 PM IST

वाराणसी : आस्था का लोक पर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2021) उत्तर-प्रदेश (uttar pradesh) और बिहार (bihar) समेत पूरे देश में उत्साह से मनाया जा रहा है। क्या काशी (kashi), क्या पटना (patna) और क्या धनबाद (dhanbad) हर जगह लोक आस्था के रंग और उमंग में डूबा दिखाई दिया। घाट सजाए गए हैं। छठ के गीत गूंज रहे हैं। बुधवार को व्रतियों ने छठ पूजा का पहला अर्घ्य डूबते हुए सूर्य को अर्पित किया। इस दौरान घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा दिखाई दिया। इस अर्घ्य के साथ अब गुरुवार के उदीयमान सूर्य का इंतजार शुरू हो गया है। गुरुवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के सा ही व्रतियों का उपवास समाप्त होगा। तस्वीरों में देखें आस्था का संगम...

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Chhath Puja 2021 : घाटों पर आस्था का सैलाब, डूबते सूर्य को अर्घ्य, अब सूर्योदय का इंतजार, देखें Photos..

यूपी, बिहार समेत देश के कई राज्यों में श्रद्धालुओं ने ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालु बुधवार दोपहर से ही गंगा घाटों पर पहुंचने लगे थे। व्रती अलग-अलग शहरों में बने घाटों तक पहुंचे। कई लोगों ने घरों की छतों पर अस्थाई तालाब बनाकर अर्घ्य दिया। पहला अर्घ्य देकर श्रद्धालु घरों को लौट गए।
 

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तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ का महत्वपूर्ण दिन है। इसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य की पूजा के साथ श्रद्धालुओं ने मनौती मांगी और  संतान की खुशहाली की प्रार्थना की।

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संध्या अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरी को ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों से सजाया जाता है। पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं। लोटे (कलश) में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। 

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इन तैयारियों के साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं। रात में छठी माई के भजन गाए जाते हैं और व्रत कथा को सुना जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं। 

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ऐसी मान्यता है कि सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है। प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से इसका लाभ भी अधिक मिलता है। मान्यता यह है कि संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन , वैभव की प्राप्ति होती है। 
 

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