बेटे के संन्यास लेने के बाद सिर्फ दो बार गोरखनाथ मंदिर आए थे सीएम योगी के पिता, स्वभाव का हर कोई था कायल

गोरखपुर(Uttar Pradesh). मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्‍ट का सोमवार की सुबह दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उन्हें किडनी व लीवर में समस्या थी। जिसके बाद उन्हें पिछले महीने एम्स में भर्ती कराया गया था। सीएम योगी के पिता आनंद सिंह बेटे के सन्यास लेने के बाद सिर्फ दो बार गोरखनाथ मंदिर आए थे। लेकिन इन दो यात्राओं में उन्होंने मंदिर में रहने वाले सभी लोगों को अपना कायल बना लिया था। उनका व्यवहार ऐसा था कि सभी उनका बेहद सम्मान करते थे। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 21, 2020 8:30 AM IST

17
बेटे के संन्यास लेने के बाद सिर्फ दो बार गोरखनाथ मंदिर आए थे सीएम योगी के पिता, स्वभाव का हर कोई था कायल

सीएम योगी के संन्यास लेने के बाद उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में आए थे। इस दौरान गोरखनाथ मंदिर में मिला हर शख्स उनके स्वभाव का कायल था। मंदिर के लोगों के साथ उनका व्यवहार व मृदुभाषी अंदाज बेहद लोकप्रिय हो गया था। 
 

27

मंदिर में रहने वाले द्वारिका तिवारी ने मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि पहली बार वह अकेले गोरखनाथ मंदिर आए थे। जब उन्होंने सीएम योगी को भगवा वस्त्र में देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए।उस दौरान तत्‍कालीन गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत अवैद्यनाथ कहीं गए थे। सीएम योगी के पिता दो-तीन दिन मंदिर में रुके। लौटने के बाद गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत अवैद्यनाथ ने उनसे बात की। उन्‍होंने कहा कि अपनी सात संतानों में से एक को समाजसेवा के लिए दे दें। 

37

महंत अवैद्यनाथ की बात सुनकर वह स्तब्ध रह गए। लेकिन उन्होंने इसका विरोध नहीं किया। लेकिन उनका मन अब भी ये स्‍वीकार करने को तैयार नहीं था लेकिन उन्‍होंने बहुत धैर्य का परिचय दिया। वह अगले दिन वापस उत्‍तराखंड में अपने गांव पंचूर लौट गए। 
 

47

द्वारिका के मुताबिक कुछ महीने बाद वह अपनी पत्नी व सीएम योगी की मां सावित्री देवी के साथ दोबारा गोरखनाथ मंदिर में आए। सीएम योगी की मां बेटे को संन्यासी रूप में देखकर भावुक हो गईं। इस दौरान उन्होंने ही पत्नी को समझाया और शांत कराया।  उन्‍होंने कहा कि बेटा लोककल्‍याण के मार्ग पर चल रहा है। उन्‍हें आशीर्वाद दें। इस बार दोनों मंदिर में एक से दो दिन रहे। फिर अपने घर लौट गए।
 

57

मंदिर के ड्राइवर प्रकाश के मुताबिक संन्‍यासी बनने के चार साल बाद नाथ पंथ की परम्‍परा के अनुसार योगी आदित्‍यनाथ अपने घर भिक्षा मांगने गए। उनके साथ दिग्विजयनाथ पीजी कालेज के तत्‍कालीन प्राचार्य कुंवर नरेन्‍द्र प्रताप सिंह, मां पाटेश्‍वरी देवी देवीपाटन मंदिर के महंत महेन्‍द्रनाथ और गोरखनाथ मंदिर के ड्राइवर प्रकाश भी थे। 
 

67

प्रकाश ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि सीएम योगी के पिता अपने विभाग में भी बहुत सम्‍मानित थे। वन विभाग में फारेस्‍ट रेंजर के पद से 1991 में ही वह सेवानिवृत हो चुके थे। पंचूर जाते वक्‍त रास्‍ते में हम एक घंटे के लिए कोटद्वार में वन विभाग के गेस्‍ट हाउस पर रुके थे। उस समय वहां मौजूद तमाम कर्मचारी योगी जी के पिताजी की दिल खोलकर तारीफ कर रहे थे। सेवानिवृति के वर्षों बाद भी कर्मचारी उनकी कर्तव्‍यपराणयता को भुला नहीं सके थे।' 

77

प्रकाश के मुताबिक योगी आदित्‍यनाथ पंचूर पहुंचे तो वहां उन्‍हें देखने के लिए गांववालों की भीड़ जुट गई। मां का रो-रोकर बुरा हाल था। तब उनके पिता ही थे जो सभी को समझा रहे थे। घर से भिक्षा लेकर योगी आदित्‍यनाथ और साथ गए लोग अगले दिन गोरखपुर लौट आए। 
 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos