सिपाही की बेटी बनी UPPCS टॉपर, पढ़ाई में डिस्टर्बेंस ना हो इसलिए टाइम पर लाडली को नाश्ता बनाकर देते थे पिता

लखनऊ (Uttar Pradesh). बीते शुक्रवार को UPPCS-2018 की रिजल्ट घोषित किया गया। इस रिजल्ट में पहले तीन स्थानों पर बेटियों का ही कब्जा रहा। टॉप थ्री में मूलतः मथुरा की रहने वाली ज्योति शर्मा( Jyoti sharma) ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। ज्योति के इस समय अयोध्या के मिल्कीपुर विकासखंड में बतौर बीडीओ तैनात हैं। Asianet News Hindi ने यूपीपीसीएस टॉपर ज्योति शर्मा से बात किया। इस दौरान उन्होंने अपने सफलता की कहानी बताई। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 12, 2020 8:20 AM IST
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सिपाही की बेटी बनी UPPCS टॉपर, पढ़ाई में डिस्टर्बेंस ना हो इसलिए टाइम पर लाडली को नाश्ता बनाकर देते थे पिता

ज्योति शर्मा मूलत: मथुरा जिले की रहने वाली हैं। उनकी पढ़ाई लखनऊ में हुई है। उनके पिता देवेंद्र शर्मा उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल हैं। ज्योति अपनी सफलता के पीछे मूलतः अपने पिता और मां का योगदान मानती हैं। उनका कहना है कि आज वो जहां भी हैं अपने परिवार की वजह से हैं। उन्होंने कहा कि बचपन से देखती आ रही हूं। पिता को पुलिस में रहकर  दूसरों की सेवा करते हुए। ये मेरे लिए सबसे ज्यादा प्रेरणादायक था। 

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ज्योति की छोटी बहन कीर्ति साइंटिस्ट है और छोटा भाई दीपक बॉलीवॉल का नेशनल प्लेयर है। ज्योति ने बताया " मेरा शुरू से ही पब्लिक इंटरेस्ट के कार्यों में मन लगता था। मेरी छोटी बहन साइंटिस्ट है, अगर मैं भी यही बनती तो पब्लिक से सीधे जुड़ाव नहीं हो पाता। अब सिविल सर्विसेज के जरिए नौकरी मिली है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकती हूं।

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UPPCS में दो बार के प्रयास में दो सफलताएं अर्जित करने वाली ज्योति शर्मा ने बताया "साल 2017 में मैंने सिविल सर्विसेज का पहला एग्जाम दिया था। तब मेरा सेलेक्शन बीडीओ के पद पर हुआ था। जिसके बाद मेरी पहली पोस्टिंग अगस्त माह में मिल्कीपुर के ब्लाक में हुई। यह मेरा दूसरा प्रयास है। जिसके बाद मेरा सेलेक्शन एसडीएम के पद पर हुआ है। मुझे तीसरी रैंक मिली है।"

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ज्योति शर्मा ने बताया कि "मेरे माता-पिता ने कभी मुझे किसी काम करने से नहीं रोका। उन्होंने कहा सिविल सर्विस के एग्जाम की तैयारी के दौरान जब मुझे बाल बनाने और नाश्ता तक बनाने के समय नहीं मिलता था। उस समय मेरी मां मेरे बालों को बांधती थी, जबकि पिता जी मुझे नाश्ते में दलिया, मैगी आदि बना कर देते थे। उन्होंने कहा कि ऐसे पेरेंट्स नसीब से मिलते हैं। " 

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ज्योति बताती हैं " जब 2017 में पहले प्रयास में मेरा सेलेक्शन बीडीओ के लिए हुआ तो काफी हताशा हुई, मैंने शुरू से IAS बनने का सपना संजोया था। लेकिन उस समय पापा ने मुझे साहस दिया। उन्होंने कहा कि अभी ये तुम्हारा पहला प्रयास था, अभी आगे और कई मौके हैं। तुम जरूर सफल होगी। पापा की इसी प्रेरणा से मैं इस बार डिप्टी कलेक्टर बन पाई हूं। लेकिन मैं अपने लक्ष्य(IAS) के लिए प्रयास जारी रखूंगी।   
 

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