मथुरा (Uttar Pradesh ) । ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। वहां होली की खुमारी ऐसी है कि विदेशी भी महीनो मदमस्त रहते हैं। ऐसी ही मथुरा की होली की एक परम्परा है मथुरा के फालैन गांव की होली का, जो सतयुग से चली आ रही है। जी हां, यहां की परम्परा अनोखी है। यहां दहकते शोलों पर एक व्यक्ति को 19 कदम नंगे पांव चलना होता है। होलिका से उठती ऊंची आग की लपटें देखकर जब हर कोई दूर खड़ा हो जाता है उस समय एक शख्स को इन्ही दहकते अंगारों के बीच से निकलना होता है। जैसा कि सोमवार तड़के किया गया। जी हां यहां होलिका दहन के बाद मोनू पंडा जब धधकती होली के अंगारों से गुजरा तो वहां मौजूद लोग यह देखकर दंग रह गए। होली की इस अनूठी परंपरा के हजारों लोग साक्षी बने। इस दौरान होलिका माता और भक्त प्रह्लाद के जयकारों से गांव की गलियां गूंज उठीं।
प्रह्लाद जी की माला गले में धारण कर मोनू पंडा ने प्रह्लाद कुंड में स्नान कर होलिका की ओर दौड़ लगा दी। मोनू पंडा 15 फीट ऊंची होलिका पर कुल 19 कदम रखकर सकुशल प्रह्लादजी के मंदिर में जा पहुंचे।
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पंडा के सकुशल मंदिर में पहुंचते ही सैलाब ने भक्त वत्सल भगवान के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। बताते हैं कि मोनू पंडा एक महीने तक मंदिर में जमीन पर ही सोए। केवल फलाहार का सेवन किया। चप्पल भी नहीं पहनी।
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मोनू पंडा एक माह तक गांव की सीमा से बाहर नहीं गए। रोज सुबह चार बजे उठकर कुंड में स्नान करने के साथ ही चार बजे से सात बजे तक पूजन किया। रात आठ बजे से 11 बजे तक प्रतिदिन विशेष जाप किया।
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कुंड से करीब 50 मीटर दूर रखी जाने वाली यह होली और सभी जगह रखी जाने वाली होलियों से बड़ी होती है। इसी होली में से मोनू पंडा निकला। यहां होली पर पूरे गांव में लोग दिवाली की तरह साफ सफाई करते हैं।
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बताते हैं कि इस दौरान ग्रामीण अपने घरों की रंगाई पुताई करते हैं। इस अद्भुत मेले के लिए गांव में अलग ही माहौल होता है। ग्रामीण इस मेले में जलती होली से मोनू पंडा के सकुशल निकलने के लिए भजन पूजन करते हैं।