कोरोना के खिलाफ योद्धा बने IAS दंपती, ट्रेनिंग के दौरान किए थे एक-दूसरे को पसंद, सीएम के शहर में हैं तैनात

गोरखपुर (Uttar Pradesh) । कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लाकडाउन है। इसके चलते लोग तमाम तरह की परेशानियां सामने आ रहे हैं। हालांकि इसके निदान के लिए अधिकारी लगे हुए हैं। इनमें गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष अनुज सिंह और उनकी पत्नी व गोरखपुर की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हर्षिता माथुर भी शामिल हैं, जिन्हें देखने के बाद लोग कोरोना योद्धा तक कहने लगे हैं। जी हां ये आइएएस दंपती सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर कहे जाने वाले गोरखपुर में पूरी मजबूती के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाकर लोगों के चहेते बन रहे हैं। आज हम आपको इनके बारे में कुछ जानकारियां दे रहे हैं।
 

Ankur Shukla | Published : Apr 9, 2020 11:40 AM IST / Updated: Apr 09 2020, 05:15 PM IST
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कोरोना के खिलाफ योद्धा बने IAS दंपती, ट्रेनिंग के दौरान किए थे एक-दूसरे को पसंद, सीएम के शहर में हैं तैनात
जीडीए उपाध्यक्ष अनुज सिंह और उनकी पत्नी हर्षिता माथुर 2013 बैच के आईएएस हैं। अनुज बिहार तो हर्षिता मध्य प्रदेश (भोपाल) की रहने वाली हैं। सेलेक्शन के बाद दोनों की मुलाकात ट्रेनिंग के दौरान मसूरी में हुई थी। दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और करीब आए।
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ट्रेनिंग के बाद आईएएस का यूपी कैडर मिला, फिर अलग-अलग जिलों में उन्हें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती मिल गई। 2017 में परिवार की सहमति ली, फिर एक दूसरे से विवाह बंधन में बंध गए।
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तमाम व्यस्तता के बाद भी जिस कुशलता से आईएएस दंपती अपनी सरकारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं, उससे अच्छे नतीजे की उम्मीद की जा रही है।
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लॉक डाउन में इस समय जीडीए उपाध्यक्ष अनुज सिंह दैनिक मजदूरों, सड़क किनारे रहने वाले गरीबों की देख-रेख और उन्हें समय से भोजन मुहैया कराने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। साथ ही बेजुबान जानवरों के चारे और दवा का भी इंतजाम कर रहे।
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क्वारंटीन और आइसोलेट किए गए लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल में जुटे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए तारामंडल स्थित लोहिया एंक्लेव में खाली पड़े 24 फ्लैट सुरक्षित करने के साथ ही वहां बिजली, पानी का इंतजाम किया। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ को वहां भी क्वारंटीन किया जा सकता है।
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सीडीओ हर्षिता माथुर ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अब तक 14 हजार से अधिक लोगों तक स्वच्छता किट पहुंचा चुकी हैं। रोजाना कई ब्लाकों का निरीक्षण कर क्वारंटीन किए गए बाहर से आए लोगों का हाल जानने के साथ ही उनके भोजन, पानी और उन्हें मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानी बंटवा रही हैं।
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हर्षिता यह सुनिश्चित करती हैं कि उन्हें समय से राशन और अन्य जरूरी सेवाएं मिलती रहें। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियत पहुंचाने के लिए बनने वाली योजनाओं में डीएम को महत्वपूर्ण इनपुट उपलब्ध कराकर उनकी सहयोग करती हैं।
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