उनकी ये मेहनत रंग भी लाई। साल 2010 में उनके बेटे संजीव का चयन IPS में हो गया। उनका सपना भी था कि उनके बेटे सिविल सर्विस में जाएं, संजीव के चयन के बाद मानो उनकी सारी मुराद पूरी हो गई। 2010 बैच के IPS अधिकारी संजीव ने अपनी ट्रेनिंग के दौरान राजधानी लखनऊ में बतौर DSP तैनात रहे। उनकी तेजतर्रार कार्यशैली से सभी उनके कायल थे। अपराध को सुलझाने व अपराधियों तक सर्विलांस के जरिए पहुंचने में उन्हें महारत हासिल है।