राजनीति में इस पूर्व पीएम को पिता, गुरू और भाई मानते थे लालजी टंडन, कुछ ऐसा रहा है राजनीतिक सफर

Published : Jul 21, 2020, 11:08 AM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh).  मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार की सुबह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे। लालजी टंडन के पुत्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपाल जी' ने सोशल मीडिया पर लिखा 'बाबू जी नहीं रहे' तो उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। लाल जी टंडन यूपी की राजनीति के पुरोधा माने जाते थे। लम्बे समय तक संघर्ष के दिनों में भारतीय जनता पार्टी को उन्होंने मजबूती दी। लाल जी टंडन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति में अपना पिता, गुरू और बड़ा भाई मानते थे।

PREV
16
राजनीति में इस पूर्व पीएम को पिता, गुरू और भाई मानते थे लालजी टंडन, कुछ ऐसा रहा है राजनीतिक सफर

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है। इसके बाद 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ था।

26

संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई। लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका अदा की। 

36

1960 में इनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है।
 

46

1978 से 1984 तक और 1990 से 1996 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे। इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे।

56

साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई। इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी। लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे थे।

66

राजनीति में आने के का पूरा श्रेय वह हमेशा से पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे। उन्होंने कई बार मंचों से भी कहा है कि मेरे राजनीतिक गुरू ही नहीं बल्कि राजनीतिक जीवन के जनक अटल जी हैं। अटल बिहारी वाजपेयी भी लाल जी टंडन को छोटे भाई समान काफी स्नेह देते थे।

Recommended Stories