मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु ओं ने किया स्नान, देखिए संगम से तस्वीरें
प्रयागराज (uttar pradesh)। माघ मेले के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या के पर्व पर संगम की रेती पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। सूर्योदय से पहले ही संगम में स्नान शुरू हो गया। वहीं, प्रशासन को इस बार मौनी अमावस्या पर 2 करोड़ 25 लाख श्रद्धालुओं के संगम में स्नान का अनुमान है। मेला प्रशासन ने दावा किया कि सुबह 11 बजे तक लगभग 58 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। बता दें कि इस दिन स्नान और दान का बहुत महत्व है।
Ankur Shukla | Published : Jan 24, 2020 3:41 AM IST / Updated: Jan 24 2020, 01:19 PM IST
स्नान करना इसलिए पवित्र माना गया है क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन स्वर्ग लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते हैं। इससे आपके सभी पाप धुल जाते हैं। इस दिन पितृों का तर्पण भी करते हैं। कहते हैं इस दिन पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
इस दिन कौड़ी, रोगियों और गरीब लोगों को लोग खाना खिलाते हैं। स्नान और दान के लिहाज से हिंदु पंचाग में माघ मास सबसे अच्छा मास माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि माघ मास में जप, तप, स्नान और दान करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।
इस दिन कौड़ी, रोगियों और गरीब लोगों को लोग खाना खिलाते हैं। स्नान और दान के लिहाज से हिंदु पंचाग में माघ मास सबसे अच्छा मास माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि माघ मास में जप, तप, स्नान और दान करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।
इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष फलदायी होता है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या से ही द्वापर युग का शुभारंभ हुआ था। यह भी कहा जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था, जिसके कारण इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।
सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात किए गए हैं। उधर आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर एटीएस और एसटीएफ की भी तैनाती की गई है। मेला क्षेत्र में 174 सीसीटीवी कैमरों से ड्रोन कैमरों से निगरानी हो रही है।
इन स्नान घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग और जाल की व्यवस्था की गई है, वहीं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ के साथ ही जेल पुलिस और गोताखोर भी तैनात किए गए हैं।
करीब 7.5 किलोमीटर के दायरे में 18 प्रमुख स्नान घाट बनाए गए हैं।