ये कहते हुए शहीद की पत्नी गुड़िया फफक कर रो पड़ी, उन्होंने कहा कि वह अपना आख़िरी वादा नहीं पूरा कर सके। हांलाकि उनके गुजरने के बाद उनकी इच्छा के मुताबिक बेटे के सभी कार्यक्रम किए गए, उन्हें मीठा बहुत पसंद था, वह जब भी छुट्टी आते थे हमेशा गुझिया,खीर ये तमाम मीठी चीजें बनवाकर खाते थे। उन्हें दूसरों की मदद करने में परम संतोष मिलता था, उनकी जानकारी में अगर किसी को कोई तकलीफ है तो वह उसकी मदद को मचल उठते थे। उसकी मदद के लिए उन्हें कर्ज भी लेना पड़ता था तो भी वह कभी पीछे नहीं हटते थे।