कभी शारीरिक दिव्यांगता का ताना देकर चिढ़ाते थे लोग, लगन व मेहनत से बने अफसर तो बंद हो गई लोगों की जुबान

लखनऊ(Uttar Pradesh). कहते हैं जिदंगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है यूपी की राजधानी लखनऊ के रहने वाले इस दिव्यांग ने। शारीरिक अक्षमताओं को मात देते हुए इस दिव्यांग ने एक मिसाल कायम की और UPPCS-2018 की परीक्षा में सफलता हासिल कर अपना परचम लहराया। लखनऊ के आलमनगर थाना क्षेत्र के भपतामऊ के रहने वाले दिव्यांग आदर्श कुमार ने UPPCS-2018 का एग्जाम क्रैक कर एक मिसाल कायम किया है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2020 6:21 AM IST
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कभी शारीरिक दिव्यांगता का ताना देकर चिढ़ाते थे लोग, लगन व मेहनत से बने अफसर तो बंद हो गई लोगों की जुबान

लखनऊ के आलमनगर इलाके के भपतामऊ के रहने वाले आदर्श कुमार 5 साल की उम्र में ही दिव्यांग हो गए थे। वह पोलियो जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए थे। उस समय से आदर्श का एक पैर कम नहीं करता है। तमाम समस्याओं का सामना करते हुए आदर्श के घर वालों ने उनके पढ़ाई शुरू करवाई। 6वीं क्लास में आदर्श के साथ एक दूसरा हादसा हुआ। उस समय उनके कानों में सुनने की शक्ति खत्म हो गई। 
 

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आदर्श बताते हैं कि इन दो समस्याओं के कारण मुझे जिन्दगी में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बहुत से लोग मुझे विकलांग होने के कारण ताना मारते थे। स्कूल में भी कई बच्चे मुझे चिढ़ाते थे। लेकिन मैंने कभी इसकी परवाह नहीं की और सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही फोकस किया।

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आदर्श ने अपनी इन कमजोरियों को दूर करने के लिए किताबों को दोस्त बनाया और उन्हें शिक्षक मानकर पढ़ाई लिखाई शुरू की। तीन भाईयों में सबसे छोटे आदर्श अपने पैरों पर स्वयं ही खड़ा होना चाहते थे। उन्हें आखिरकार उसमें सफलता मिली भी। आदर्श के पिता शिवमंगल सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त है और माता रामकुमारी गृहणी है। आदर्श के भाई राहुल कुमार और अमित कुमार ने अपने भाई को कभी कमजोर महसूस नहीं होने दिया। भाईयों ने उनका हर कदम पर साथ दिया और बहन अनुराधा भी उनका पूरा सहयोग किया। 
 

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आदर्श ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह हमेशा अपने क्लास में अव्वल ही आते थे। आदर्श ने वर्ष 2007 में कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और वर्ष 2009 में कॉमर्स से ही पोस्टग्रेजुएशन किया। इसके बाद वर्ष 2010 में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से स्पेशल एजुकेशन से बीएड पूरा किया और वर्ष 2011 में एमएड स्पेशल एजुकेशन से ही किया। उन्होंने इसके बाद बालागंज स्थित एक प्राइवेट स्कूल में विशेष शिक्षक के तौर पर तीन सालों तक टीचिंग भी की।

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वर्ष 2015 में आदर्श की जिन्दगी में बेहद सुखद पल आया जब उन्हें प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिली और इसके बाद प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी शुरू की। शुरू से ही प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सपना देखने वाले आदर्श ने इसको पाने के लिए दिन रात मेहनत की।
 

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आदर्श यूपीपीसीएस 2016 और 2017 की परीक्षा में भी शामिल हुए और प्री पास कर मेंस तक पहुंचे। वर्ष 2017 में आदर्श ने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा का मेंस भी दिया, लेकिन श्रवण बाधित होने की वजह से भाषा में छूट न होने के कारण अंग्रेजी विषय को पास नहीं कर सके। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह तैयारी में निरतंर लगे रहे, और पीसीएस 2018 (UPPCS-2018) का एग्जाम क्रैक कर श्रम प्रवर्तन अधिकारी की पोस्ट हासिल की है।

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