तिरंगे में लिपटा पुलवामा शहीद का शव पहुंचा घर, पार्थिव शरीर के पास 7 माह के बेटे को देख रो पड़ा हर कोई

जौनपुर (Uttar Pradesh).  जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद जवान जिलाजीत यादव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव जौनपुर के धौरहरा इजरी लाया गया । यहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद जिलाजीत का शव गांव में पहुंचते ही वहां कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार वालों ने शहीद के पार्थिव शरीर के पास उनके सात माह के बेटे जीवांश को रखा तो हर किसी के लिए यह भावुक क्षण था। शहीद की पत्नी व परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है। अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर पहुंचे हैं। लोग जिलाजीत की शहादत पर भारत माता के जयघोष कर रहे हैं। आज दोपहर बाद शहीद का गोमती तट पर स्थित रामघाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2020 6:44 AM IST / Updated: Aug 14 2020, 12:18 PM IST

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तिरंगे में लिपटा पुलवामा शहीद का शव पहुंचा घर, पार्थिव शरीर के पास 7 माह के बेटे को देख रो पड़ा हर कोई

पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद जिलाजीत यादव के अंतिम दर्शन के लिए गुरुवार को सुबह से ही उमड़ी भीड़ के हौसले के आगे मौसम ने भी घुटने टेक दिए। आखिरकार शुक्रवार सुबह घंटों से अपने चहेते को देखने के लिए टकटकी लगाए परिजनों का इंतजार खत्म हुआ और  पार्थिव शरीर घर पहुंच गया। फिजाओं में हर तरफ शहीद जिलाजीत यादव अमर रहें... के नारे गूंजते रहे।

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दरअसल, श्रीनगर में खराब मौसम के कारण अपराह्न तक विशेष विमान शहीद का पार्थिव शरीर लेकर वहां से उड़ान ही नहीं भर सका था। अंधेरा होता देख परिजनों और उपस्थित लोगों की सहमति पर शुक्रवार को अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया। सेना का विमान रात में ही वाराणसी पहुंचा। वहां से सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर लेकर जौनपुर के लिए रवाना हुए।

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शुक्रवार की सुबह डीएम दिनेश कुमार सिंह व एसपी अशोक कुमार ने गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार का हाल जाना। प्रदेश सरकार की ओर से दी जा रही 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद और एक सदस्य को नौकरी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने शहीद की स्मृति में पार्क बनवाने व प्रतिमा लगवाने के लिए राजस्व कर्मचारियों को गांव में जमीन चिह्नित करने का निर्देश दिया।

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जलालपुर बाजार से शहीद के घर तक जगह-जगह बैनर-होर्डिंग लगा दिए गए थे। शहीद के अंतिम दर्शन की आस लिए लोग पूरे दिन गांव व आसपास जुटे रहे। प्रशासनिक अफसरों व राजनेताओं का भी गांव में जमावड़ा लगा रहा।
 

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जलालपुर थाना क्षेत्र के धौरहरा इजरी गांव निवासी कांता यादव की चार संताने थीं। तीन बेटियों के अलावा उनका इकलौता बेटा जिलाजीत यादव साल 2014 में सेना में भर्ती हुआ था। वर्तमान में वे आरआर (राजस्थान राइफल्स) 53 बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात थे। साल 2017 में उसकी शादी हुई थी। सात माह पहले जिलाजीत पिता बने थे। आखिरी बार वे जनवरी माह में गांव आए थे। दो साल पहले पिता कांता यादव का निधन हो गया था।

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जानकारी के अनुसार, मंगलवार रात 2 बजे पुलवामा में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में सैनिक जिलाजीत शहीद हो गए थे। उनके एक साथी को भी गोली लगी। सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो घटनास्थल से एके-47, ग्रेनेड के साथ ही अन्य आपत्तिजनक सामान भी बरामद हुए थे।
 

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