खादी का धोती-कुर्ता पहन कर गौरा को लेने ससुराल जाएंगे भगवान शिव , मथुरा के गुलाल से होली खेलेंगे भोलेनाथ

वाराणसी(Uttar Pradesh ). रंगभरी एकादशी के दिन होने वाले बाबा विश्वनाथ और देवी गौरा के गौने की तैयारी में काशी के भक्त जुटे हुए हैं। गुरूवार को बाबा विश्वनाथ का गौना है। गौने में पहनने के लिए बाबा विश्वनाथ को खादी का कुर्ता बनवाया गया है। वहीं गौरा के लिए जरी किनारे वाली साड़ी तैयार हो गई है। काशी के गयासुद्दीन ने पूर्वजों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए बाबा विश्वनाथ के गौना उत्‍सव के लिए खास पगड़ी तैयार की है।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 4, 2020 11:45 AM IST

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खादी का धोती-कुर्ता पहन कर गौरा को लेने ससुराल जाएंगे भगवान शिव , मथुरा के गुलाल से होली खेलेंगे भोलेनाथ
धर्म की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी को बाबा विश्‍वनाथ के गौना बारात के अनूठे उत्‍सव के रूप में मनाई जाती है। 5 मार्च को होने वाले भोलेनाथ के गौने के तैयारियां जोरों पर हैं। माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव हिमालय की पुत्री पार्वती को गौने में विदा कराकर कैलाश लाए थे। तभी से काशी में रंगभरी एकादशी एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है।
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भगवान शिव के गौने के अवसर पर विशेष रंगोत्सव भी मनाया जाएगा। इसके लिए मथुरा से स्पेशल फूलों का 5 टन गुलाल मंगाया गया है। काशीवासी गाजे बाजे के साथ रंग गुलाल खेलते हुए बाबा विश्वनाथ के गौने में शामिल होने जाएंगे।
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बाबा विश्वनाथ के गौने के अवसर पर होने वाले सांस्‍कृतिक कार्यक्रम 'शिवांजलि' में रुद्रनाथ बैंड के कलाकारों की प्रस्‍तुतियां होंगी तो बारात में डमरू और शंखनाद दल के साथ नादस्‍वरम् और बंगाल का ढाक भी गूंजेगा। रंगभरी एकदशी पर शिव के गौने पर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।
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इस दिन दूल्‍हे के रूप में सजे भगवान शिव रजत पालकी में सवार होकर मां गौरा का गौना लेने निकलते हैं। बाब विश्वनाथ के इस स्‍वरूप के दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। काशीवासी बाबा विश्‍वनाथ और माता पार्वती के साथ अबीर गुलाल की होली खेल कर गौने का जश्‍न मनाएंगे। बाबा के गौने में होली खेलने के लिए गुलाब का अबीर लाने के लिए शिवभक्‍तों की टोली मथुरा रवाना हो गई है।
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कार्यक्रम के संयोजक महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि 5 मार्च को तड़के मंगल बेला में 3.30 बजे बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती तथा प्रथमेश की चल प्रतिमाओं का हल्दी पूजन होगा। उसके बाद दूध, दही, शहद, गंगाजल से स्नान कराया जाएगा। फिर मंगला आरती की जाएगी। उसके बाद भोर 4.30 बजे से 6 बजे तक वैदिक ब्रह्मणों द्वारा विशेष षोडशोपचार पूजन रुद्राभिषेक किया जाएगा। सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे तक मातृका पूजन होगा। 09 बजे प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रजत प्रतिमाओं का श्रृंगार करने के बाद बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में जलते अखंड दीप के खप्पड़ से काजल लाया जाएगा। मां गौरा के नेत्रों में उस काजल को सजाया जाएगा। इन समस्त श्रृंगार में प्रमुख होगा मइया के मांग का सिंदूर अर्चन, जिसका अनुष्ठान महंत परिवार दीक्षित मंत्रों से सम्पन्न कराएगा। मां का सिन्दूर अन्नपूर्णेश्वरी के दर से आएगा। उन्होंने बताया कि गौना यात्रा के पूर्व जब बाल गणेश को मां पार्वती के गोद मे दिया जाएगा तो सुहागिन महिलाएं मंगल गीतों के साथ मां गौरा का गोद भी भरेंगी।
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