ये भी है 1 सरकारी स्कूल, यहां 1 शिक्षक का प्रयास बना मिसाल, स्टूडेंट करते हैं इस तरह डिजिटल तरीके से पढ़ाई

भदोही (Uttar Pradesh)। सरकारी स्कूलों की शिक्षा पद्धति को लेकर तमाम सवाल खड़े होते हैं, लेकिन हर जगह ऐसा नहीं है। कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं, जो अपनी मेहनत के बलबूते नौनिहालों को अच्छे तरीके से शिक्षा प्रदान कराते हैं। ऐसा ही एक अलग प्रयास प्राथमिक विद्यालय चितईपुर, जो न सिर्फ कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है, बल्कि प्रदेश का इकलौता स्कूल होने का दावा भी करता है, क्योंकि यहां के बच्चे क्लास में पढ़ते हैं। बच्चे लैपटॉप और प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करते हैं। बता दें कि यह कोई सरकारी योजना की वजह से नहीं, बल्कि गांव के ही प्राथमिक स्कूल में तैनात प्रधानाध्यापक अरविंद पाल की वजह से हुआ। शिक्षक ने खुद के रुपए से इस स्कूल को इन्होंने हाईटेक किया है। अब उन्होंने अपने वेतन से 10 टेबलेट खरीदकर गांव के स्कूल में छात्र-छात्राओं को डिजिटल शिक्षा से जोड़ा है। हालांकि इन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ से सम्मान भी मिल चुका है।

Ankur Shukla | Published : Mar 5, 2020 3:18 AM IST

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ये भी है 1 सरकारी स्कूल, यहां 1 शिक्षक का प्रयास बना मिसाल, स्टूडेंट करते हैं इस तरह डिजिटल तरीके से पढ़ाई
प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा का हाल किसी से छिपा नहीं है। प्राइवेट स्कूलों में मोटी फीस लगने की वजह से गरीब तबका अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ाता है। चितईपुर गांव के प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य अरविंद पाल ने बिना किसी सरकारी मदद के प्रदेश का पहला स्मार्ट क्लास वाला प्राथमिक स्कूल शुरू किया
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जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर ग्रामीण क्षेत्र का यह सरकारी स्कूल है। अरविंद पाल जब नौकरी में आए और कुछ वर्षों तक पढ़ाने के बाद देखा कि सरकारी स्कूल के बच्चों में पढ़ाई का स्तर बढ़ाना है।
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प्रधानाचार्य अरविंद पाल ने आधुनिकता के इस युग के साथ चलने का निश्चिय किया। उन्होंने खुद के रुपए लगाकर स्मार्ट क्लास शुरू की। इसका असर हुआ कि जिन बच्चों में पढ़ाई में रूचि नहीं थी वे मन लगाकर पढ़ रहे हैं। स्कूल में बच्चों की संख्या पहले से ज्यादा बढ़ गई है।
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प्रधानाचार्य अरविंद पाल हमेशा से ही कुछ नया करते रहे है। इसके पहले, 2015 में इन्होंने अपने खर्च कर भदोही जनपद में सबसे पहले अपने स्कूल में प्रोजेक्टर के माध्यम से छात्र-छात्राओं को शिक्षा देना शुरू किया था।
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2016 में उन्होंने कंप्यूटर क्लास की शुरुआत की थी। इतना ही नहीं, अपने खर्चे पर उन्‍होंने स्‍कूल की हर क्‍लास में सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे।
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अब टेबलेट के माध्यम से गांव के बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ रहे हैं। अरविंद पाल ने बताया की वह अपने स्कूल के बच्चों को अपना बच्चा समझते है। अपने बच्चो की ही तरह वह स्कूल के बच्चों को शिक्षा देना चाहते हैं।
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चितईपुर गांव के इस सरकारी स्कूल के बच्चे किसी प्राइवेट स्कूल के छात्रों से कम नहीं है। वह हर विषय में काफी तेज हैं, और जिस तरह से कई साल से यह स्कूल हाईटेक हैं। इस वजह से गांव के ज्यादातर बच्चे किसी अन्य जगह न जाकर गांव के ही स्कूल में पढ़ते हैं।
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रोजाना बच्चों की उपस्तिथि भी बहुत अच्छी है। आज जब बच्चों के हाथो में टेबलेट पहुंचे, तो वह बहुत खुश नजर आए। छात्र-छात्राओं ने बताया कि उन्हें स्कूल में आकर बहुत अच्छा लगता है। अब टेबलेट मिलने से वह और अच्छे से पढ़ाई कर सकते हैं।
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प्रतिदिन छात्र-छात्राओं की उपस्थिति ली जाती है। बच्चों को ग्रुप में बांटा गया है। जिस ग्रुप के सदस्य प्रतिदिन समय से आते हैं उन्हें माह के अंत में पुरस्कृत किया जाता है। साथ ही प्रतिदिन जिस ग्रुप के सभी सदस्य सबसे पहले आते थे। उनके लिए प्रार्थना सभा में ताली बजाई जाती थी।
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प्रतिदिन सिस्टम के तहत बच्चों को एमडीएम दिया जाता है। साथ ही उनके भोजन की निगरानी की जाती है। इसके कारण बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी खुश रहते हैं। डीएम भी प्रधानाध्यापक अरविंद पाल की तारीफ करते नहीं थकते हैं। वे जहां जाते हैं इस शिक्षक का उदाहरण देते हैं।
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प्रतिवर्ष 20 मई से 30 मई तक समर कैंप का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चे चित्रकला, क्राफ्ट वर्क, संगीत, रंगोली, मूर्तिकला आत्मरक्षा के गुण बेकार के सामानों से सजावटी सामान बनाना आदि सीखते हैं।
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इस स्कूल में जिन बच्चों की उपस्थिति 90 फीसद से ऊपर रहती है उन्हें टूर पर भी लिवाकर शिक्षक जाते हैं। इन्हें ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताया जाता है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस स्कूल की तारीख कर चुके हैं। उन्होंने इसके लिए प्रधानाध्यापक अरविंद पाल को सम्मानित भी किया है।
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सरकार से मिलने वाली सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर इस स्कूल के बच्चों को मिलती है। जिसके लिए शिक्षा विभाग के भी अधिकारी ध्यान देते हैं।
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इस स्कूल की हर व्यवस्थाएं हाईटेक हैं। बच्चों को खेलने आदि की भी विशेष व्यवस्था की गई है। जिसकी निगरानी विद्यालय परिवार करता है। इसमें गांव के भी लोगों का सहयोग करता है।
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