कुछ दिन पहले ही आई थीं खुशियां, माफियाओं ने बिखेर दिया मातम, बहन की डोली से पहले उठी भाई की अर्थी

Published : Feb 10, 2021, 02:34 PM ISTUpdated : Feb 10, 2021, 04:34 PM IST

कासगंज (Uttar Pradesh) । यूपी के कासगंज में बिकरू कांड जैसी घटना हुई है। सरकारी नोटिस लेकर आरोपी सगे भाइयों ने घर पहुंचे सिपाही की हत्या कर दी थी, जबकि दारोगा को भाला मार कर घायल कर दिया है। ऐसे में हम शहीद हुए सिपाही देवेंद्र जसावत के बारे में बता रहे हैं, जिनके घर चार माह पहले ही बेटी पैदा होने पर खुशियां बनाई गई थी। लेकिन, बहन के शादी से तीन माह पहले ही मातम पसर गया है। बताते चले कि वो अपने परिवार के इकलौते चिराग थे, जिन्हें शराब माफियाओं ने बुझा दिया।

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कुछ दिन पहले ही आई थीं खुशियां, माफियाओं ने बिखेर दिया मातम, बहन की डोली से पहले उठी भाई की अर्थी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिपाही देवेंद्र जसावत के परिवार के 50 लाख की आर्थिक मदद और एक नौकरी देने की घोषणी की है। बताते चले कि देवेंद्र आगरा के डौकी थाना क्षेत्र के नगला बिंदू गांव निवासी किसान महावीर सिंह के इकलौते बेटे थे, जो साल 2015 में पुलिस भर्ती हुए थे। जबकि इकलौती बहन प्रीति है, जिसकी मई में शादी होनी है।
 

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देवेंद्र की शादी साल 2016 में शादी चंचल से हुई थी, जो पति के मौत की खबर से बेसुध हो गई है। दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी तीन साल की है। छोटी बेटी महज चार माह की है।
 

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परिवार से जुड़े लोग बताते हैं कि शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है, जो देवेंद्र का दोस्त है। उसने ही उनके साथ हुई घटना की जानकारी गांव में फोन पर दी थी। जिसके बाद आनन-फानन में रिश्तेदार और गांव के कुछ लोगों ने महावीर सिंह को साथ लिया और कासगंज के लिए रवाना हो गए।
 

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परिवार ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। इस दौरान देवेन्‍द्र के पिता ने कहा,'मेरा एक ही बेटा था। 2015 में पुलिस में भर्ती हुआ था और 2017 में उसकी शादी हुई थी। बेटा शहीद हुआ है। इसका बदला लेना चाहिए।

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गांव वालों ने बताया कि देवेंद्र जब भी गांव में आते अपने से बड़ों के पैर छुआ करते थे। उन्हें इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। वह युवाओं से यही कहते कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी है।
 

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