अनुराग ने अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि उनके लिये यह सफर आसान नहीं था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए सीतापुर जिले में एक आवासीय विद्यालय में जाना पड़ा था। अनुराग ने बताया, "मेरे माता-पिता शुरू में मुझे सीतापुर भेजने के लिए सहमत नहीं थे। मेरे पिता एक किसान हैं और मां हाउसवाइफ हैं। उन्होंने सोचा कि अगर मैं पढ़ाई के लिए चला गया, तो मैं खेती में नहीं लौटूंगा, लेकिन मेरी बहनों ने उन्हें मुझे पढ़ाई करने की इजाजत देने के लिए राजी किया। अब सब बहुत खुश हैं और उन्हें मुझ पर गर्व है।"