ऐसी भी है ब्रज की एक होली, शख्स आया और दहकते शोलों पर नंगे पांव दौड़ने लगा
मथुरा (Uttar Pradesh ). ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। वहां होली की खुमारी ऐसी है कि विदेशी भी महीनो मदमस्त रहते हैं। ऐसे ही मथुरा की होली की एक परम्परा है मथुरा के फालैन गांव की होली। यहां की परम्परा अनोखी है। यहां दहकते शोलों पर एक व्यक्ति को 10 कदम नंगे पांव चलना होता है। होलिका से उठती ऊंची आग की लपटें देखकर जब हर कोई दूर खड़ा हो जाता है उस समय एक शख्स को इन्ही दहकते अंगारों के बीच से निकलना होता है।
Asianet News Hindi | Published : Mar 11, 2020 12:18 PM IST / Updated: Mar 11 2020, 05:51 PM IST
फालैन गांव की होली की अपनी के परम्परा है। इस बार होलिका के ढकते शोलों से निकलने के लिए मोनू पंडा तैयार थे। धधकते अंगारों से गुजरने वाले मोनू पंडा एक माह के कठिन तप पर बैठे थे। मोनू पंडा ने होलिका दहन से ठीक एक माह पहले घर त्याग दिया था। पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया। गांव में बने प्रह्लाद कुंड तट पर बने प्रह्लाद मंदिर में उन्होंने निवास किया ।
मोनू पंडा एक महीने तक मंदिर में जमीन पर ही सोए। केवल फलाहार का सेवन किया। चप्पल भी नहीं पहनी। एक माह तक गांव की सीमा से बाहर नहीं गए। रोज सुबह चार बजे उठकर कुंड में स्नान करने के साथ ही चार बजे से सात बजे तक पूजन किया। रात आठ बजे से 11 बजे तक प्रतिदिन विशेष जाप किया।
ग्रामीणों ने बताया वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। जब कोई पंडा जलती होली में से निकलने में असमर्थता व्यक्त करता है तो वह अपनी पूजा करने वाली भक्त प्रहलाद की माला मंदिर में रख देता है। इसके बाद गांव का जो व्यक्ति उसे उठा लेता है वह जलती होली में से निकलता है। इस बार जलती होली में से निकलने के लिए मोनू पंडा ने बीड़ा उठाया था।
सुबह 4:30 पर प्रहलादजी की माला को धारणकर मोनू पंडा बाहर निकले। उस समय मौजूद हजारों लोग भक्त प्रह्लाद का जयघोष कर रहे थे। प्रहलाद कुंड में स्नान के बाद 4:40 बजे मोनू पंडा ने धधकती होलिका की ओर दौड़ लगा दी। होलिका के अंगारों पर दस कदम रखकर मोनू पंडा होलिका से सकुशल बाहर निकल गए।
होलिका से सकुशल निकलने के बाद मोनू पंडा ने प्रह्लाद मंदिर में जाकर पूजा की। चारों तरफ गुलाल उड़ने लगे और भक्त प्रह्लाद की जयजयकार होने लगी। मोनू पंडा के इस करतब को देखकर वहां देश विदेश से आए तमाम भक्त शॉक्ड रह गए।