जब इस लेडी अफसर ने लिया था बीजेपी नेता से पंगा, बीच सड़क ऐसे की थी तूतू-मैंमैं
लखनऊ (Uttar Pradesh). मध्य प्रदेश के राजगढ़ की डीएम निधि निवेदिता और डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गईं हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीटने के मामले जहां कांग्रेस दोनों आईएएस अफसरों को सम्मानित करने की बात कर रही है, वहीं बीजेपी दोनों के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रही। आज हम आपको यूपी की एक ऐसी पीपीएस अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि बीजेपी नेता से पंगा लेने पर चर्चा में आईं थीं।
Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2020 8:46 AM IST / Updated: Jan 23 2020, 02:35 PM IST
यूपी के कानुपर की रहने वाली पीपीएस अफसर श्रेष्ठा ठाकुर ने बुलंदशहर में डीएसपी रहने के दौरान बीजेपी के तत्कालीन विधायक मुकेश भारद्वाज का नियम तोड़ने पर चालान काटा था। इस बात को लेकर उनकी नेता से बहसबाजी भी हुआ थी।
नेता से तूतू-मैंमैं करते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। जिसके बाद उन्हें लेडी सिंघम का टैग दिया गया। हालांकि, मामला के तुरंत बाद श्रेष्ठा बुलंदशहर से बहराइच भेज दी गईं थीं।
श्रेष्ठा कहती हैं, मेरी पढ़ाई कानपुर में ही हुई। जब ग्रैजुएशन में थी तब लोग पैरेंट्स से कहते थे कि बेटी बड़ी हो गई है। इसे अब अकेले घर के बाहर नहीं जाना चाहिए। लेकिन मेरे भाई ने सभी के तानों को अनसुना कर मुझे पढ़ाई में मन लगाने को कहा।
एक दिन मैं कॉलेज जाते समय मैंने सड़क किनारे 9-10 साल के लड़के को भीख मांगते हुए देखा। उस समय मैंने अपना टिफिन का सारा खाना उस बच्चे को दे दिया। तभी से मैं लाचार और जरूरतमंद बच्चों की मदद करती हूं।
वो कहती हैं, मैं जमीन पर सोना पसंद करती हूं। सो कर उठने के बाद अपने बिस्तर को इस तरह लपेटकर रख देती हूं कि जब भी ट्रांसफर हो जाए तो जाने में कोई दिक्कत न हो।
श्रेष्ठा कहती हैं, मैं महिलाओं के मामले में हमेशा सचेत रहती हूं। ध्यान रखती हूं कि लड़कियों को कानूनी तौर पर मजबूत कर सकूं। शारीरिक तौर पर भी मजबूत करने के लिए मैं उन्हें ताइक्वांडो की ट्रेनिंग भी देती हूं।
वो कहती हैं, कानपुर में पढ़ाई के दौरान मेरे साथ दो बार मनचलों ने छेड़छाड़ की। उस समय मुझे लगा कि पुलिस को जिस तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी, वह नहीं की। तभी मैंने पुलिस अफसर बनने की सोची।
बता दें, श्रेष्ठा सबसे छोटी हैं। इनसे 2 बड़े भाई मनोज और मनीष हैं। इनके पिता एस बी सिंह भदौरिया बिजनेसमैन हैं। मां मिथलेश हाउस वाइफ हैं।
2012 में मैंने पीपीएस क्वालीफाई किया। हालांकि, पीपीएस की तैयारी में जब मेरा मन ऊबने लगता था, तब तब मेरे भाई ने मेरा मनोबल बढ़ाया।