कौन हैं ये अर्थी बाबा: जो अर्थी पर बैठ विधायक का नामांकन भरने पहुंचे, करवाते हैं अपना ही राम नाम सत्य



देवरिया (उत्तर प्रदेश). अभी तक आपने चुनावी दंगल में उम्मीदवारों को लग्जरी गाड़ियां और घोड़े पर सवार होकर अलग अंदाज में नामंकन भरते खूब देखा होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में होने जा रहे उपचुनाव में एक प्रत्याशी ने अपना नामंकन दाखिल करने के लिए ऐसा तरीका अपनाया जो शायद ही आजतक किसी ने किया होगा। जहां एक नेताजी अर्थी पर सवार होकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे।

Asianet News Hindi | Published : Oct 30, 2020 12:06 PM IST / Updated: Oct 30 2020, 06:12 PM IST
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कौन हैं ये अर्थी बाबा: जो अर्थी पर बैठ विधायक का नामांकन भरने पहुंचे, करवाते हैं अपना ही राम नाम सत्य

दरअसल, अर्थी पर सवार होकर नामंकन भरने वाले यह शख्स अर्थी बाबा उर्फ राजेश यादव हैं। जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। अर्थी पर बैठकर  वोट मांगने का अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
 

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'अर्थी बाबा' के नाम से फेमस राजेश यादव अब तक एक-दो बार नहीं बल्कि 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उनको अभी तक एक भी चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई है। उनका कहना है कि मेरा काम ही चुनाव लड़ना। जिनको देखने सैकड़ों की भीड़ एकत्रित हो ही जाती है।

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दिलचस्प बात यह है कि अर्थी बाबा उर्फ राजेश यादव लोगों से वोट मांगने और प्रचार करने के लिए भी अर्थी पर सवार होकर जाते हैं। जहां चार लोग बाबा को अपने कंधे पर अर्थी नुमा पालकी में उनको बैठाकर लोगों के बीच ले जाते हैं। इसी अंदाज में वह गांव-गांव जाकर घूमते हैं।

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पुरुष ही नहीं महिलाएं भी राजेश बाबा को अर्थी पर बैठाकर कंधा देते हीं। इतना ही नहीं उनके समर्थक 'राम नाम सत्य है' का नारा लगाते हुए पीछे-पीछे चलते हैं। पहली बार जब कोई उनके इस अंदाज को देखता है तो वह हैरान हो जाता है। कई लोग तो सचमुच अर्थी समझने लगते हैं।

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अर्थी जब भी वोट मांगने के लिए लोगों के बीच जाते हैं तो वो गांवों में महिलाओं, दिव्यांगों और गरीबों के थाली में पैर धोते हुए भी नजर आते हैं। जब उनसे मीडिया ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो कहने लगे कि वोटर  देवतुल्य हैं, इसलिए उनको भगवान समझकर उनके पैर धो रहा हूं। उनके ही आर्शीवाद से जीत मिलेगी।

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अर्थी बाबा यानि राजेश ने पढ़ाई में साल 2008 में एमबीए किया हुआ है। जानकारी के अनुसार वो बैंकाक में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर चुके हैं। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और अब वे खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने लगे। वह अपने परिवार में तीन भाई और दो बहन हैं। 

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