दर्दनाक: जन्म में 3 मिनट-मौत में कुछ घंटे का अंतर, एक साथ 2 जुड़वां भाइयों का काल बना कोरोना


मेरठ (उत्तर प्रदेश). कोरोना वायरस दूसरी लहर में जिस तरह से तांडव मचा रहा है वह बेहद डरावनी है। इंसान चाहकर भी बिलखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा। इस महामारी ने पता नहीं कितने परिवारों को उजाड़ कर रख दिया। कई बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया छीनकर अनाथ कर दिया। ऐसा ही कहर कोरोना ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक परिवार पर बरपाया है। जहां दो जुड़वा भाइयों को एक साथ महामारी लील गई। दोनों एक ही दिन 3 मिनट के अंतर से इस दुनिया में आए थे और कुछ घंटों के अंतर से दुनिया को अलविदा कह गए। पढ़िए बेबस परिवार की दर्दभरी कहानी...

Asianet News Hindi | Published : May 18, 2021 6:51 AM IST / Updated: May 18 2021, 12:34 PM IST

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दर्दनाक: जन्म में 3 मिनट-मौत में कुछ घंटे का अंतर, एक साथ 2 जुड़वां भाइयों का काल बना कोरोना


दरअसल, यह दुखों पहाड़ मेरठ में रहने वाले ग्रेगरी रेमंड के परिवार पर टूटा है। उनके जुड़वां बेटे जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और राल्फ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी की  24 अप्रैल को अचानक एक साथ तबीयत बिगड़ गई। जब उन्होंने अपनी जांच कराई तो वह संक्रमित पाए गए। इलाज के बाद दोनों की तबीयत ठीक हो गई थी। लेकिन 10 मई को फिर से उनकी तबीयत बिगड़ गई और कुछ घंटों के अंतराल से  13, 14 मई को दोनों भाइयों की मौत हो गई। 23 अप्रैल को दोनों ने अपना 24वां जन्मदिन मनाया था, उनको क्या पता था कि यह जश्न उनकी जिंदगी का आखिरी जश्न होगा। बर्थडे के अलगे दिन वह कोरोना का शिकार हो गए थे।

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दोनों के पिता ग्रेगरी रेमंड राफेल ने बताया कि इस कोरोना ने उनके परिवार को तबाह कर दिया। सबकुछ अच्छा चल रहा था, सभी अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे। लेकिन संक्रमण की वजह से अब हम सिर्फ तीन लोग ही परिवार में बचे हैं। हमने उनको टीचिंग करके दोनों को पाल पोसकर जवान किया। अब वह हमारी जिंदगी का सहारा बनने वाले थे। लेकिन भगवान को शायद यह खुशियां मंजूर नहीं थी। हमें कौन से जन्म की सजा दी जो इस तरह का दर्द दे दिया।

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जुड़वा भाइयों के पिता ने बताया कि दोनों बेटों के जन्म में सिर्फ तीन मिनट का अंतर था। 23 अप्रैल, 1997 को वह एक ही दिन इस दुनिया में आए थे। जोफ्रेड बड़ा था और राल्फ्रेड छोटा था। जब नर्स ने बताया कि आपकी पत्नी ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल को में अपनी लकी डे मानता था। दोनों का एक साथ इसी दिन जन्मदिन मनाते थे। लेकिन सोचा नहीं था कि यह बर्थडे उनकी लाइफ का आखिरी होगा।
 

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पिता ने बताया कि दोनों ने एक साथ एक ही स्कूल में पढ़कर कॉलेज में  बी-टेक की पढ़ाई की । जिसके बाद अच्छे कंप्यूटर इंजीनियर बन गए थे। कुछ दिनों के अंदर से उनकी अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई। वह हैदराबाद में जॉब कर रहे थे, आगे चलकर वो कोरिया और फिर जर्मनी जाने की योजना बना रहे थे। लेकिन अब कुछ नहीं बचा, हम किसके सहारे जिंदा रहेंगे।
 

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बता दें कि ग्रेगरी रेमंड और उनकी पत्नी सेंट थॉमस स्कूल में पढ़ाते हैं। लेकिन अब दोनों अपने बेटों की तस्वीर देखकर बिलख रहे हैं। राफेल ने बताया कि पहले जब जोफ्रेड की मौत हुई तो मेरे मुंह से बस यही निकला कि अब राल्फ्रेड भी नहीं बचेगा। कुछ देर बाद  राल्फ्रेड के मरने की खबर आ गई।
 

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