नहीं देखा होगा ऐसा क्रिकेट मैच: दिव्यांग व्हीलचेयर पर मारते दिखे चौके-छक्के, शॉट्स का हर कोई दीवाना


वाराणसी (उत्तर प्रदेश). भारत में हर कोई क्रिकेट खेल का दीवाना है, बच्चों से लेकर महिलाएं तक इस खेल को देखते और खेलते हैं। अभी तक आपने हाथों से बल्ला घुमाना और पैरों से दौड़ लगाकर गेंद पकड़ते खिलाड़ियों को कई बार देखा होगा। लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुछ अनोखी क्रिकेट देखने को मिल रही है। जहां प्रदेश के दिव्यांग व्हीलचेयर पर क्रिकेट टूर्नामेंट खेल रहे हैं। फील्डिंग और बल्लेबाजी के अलावा रोमांच भी दमदारी से हो रहा है। आइए देखते हैं इस मैच की अनोखी तस्वीरें...

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2021 12:31 PM IST / Updated: Mar 05 2021, 06:05 PM IST
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नहीं देखा होगा ऐसा क्रिकेट मैच:  दिव्यांग व्हीलचेयर पर मारते दिखे चौके-छक्के, शॉट्स का हर कोई दीवाना

दरअसल, यह क्रिकेट मैच काशी के सिगरा स्टेडियम में पहली बार राजर्षि राजित प्रसाद यादव मेमोरियल व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन शुक्रवार को किया गया था। जिसमें  पूर्वांचल के क्रिकेट प्रेमी दिव्यांग हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें दिव्यांगजन व्हीलचेयर में चौका छक्का मारते नजर आए। व्हीलचेयर पर बैठ कर गेंदबाज गेंद को स्विंग करा रहे हैं तो वह शॉट मारने के बाद व्हीलचेयर पर ही सिंगल और डबल दौड़ कर रन बटोर रहे हैं।

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बता दें कि यह मैच  16 -16 ओवर का मैच खेला जा रहा हैं। सबसे पहले जिन दो टीमों ने मैच खेल पहुंचीं उनमें संभव पैरा स्पोर्ट्स एकेडमी और किंग ऑफ मिर्जापुर शामिल थीं। उत्तर प्रदेश दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन इसका आयोजन कर रहा हैं। दिव्यांग के मैचों को देखने वालों की स्टेडियम में भीड़ लग रही है। यह खिलाड़ी क्रिकेट के माध्यम से समाज को संदेश दे रहे हैं कि हौसले अगर बुलंद हों तो सब कुछ किया जा सकता है।

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केंद्रीय दिव्यांगजन सलाहकार बोर्ड डॉ उत्तम ओझा ने बताया अभी यह प्रतियोगता जिला स्तर पर शुरू की गई  है। आगे राज्य और अखिल भारतीय स्तर पर टूर्नामेंट कराया जायेगा। इस मैच का उद्देश्य है कि दिव्यांगों का हौसला बना रहे। वह भी किसी से कम नहीं है, जब उनको मौका मिलता है वह हर फील्ड में वो परचम लहराते हैं। उन्होंने बताया कि अटल जी ने कहा था छोटे मन से कोई बड़ा नही होता, टूटे मन से कोई खड़ा नही होता। 

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इस मैच में एक वनारस के दवा व्यवसायी संतोष पांडेय भी क्रिकेट खेल रहे हैं, उनको स्पाइनल में दिक्कत हैं। लेकिन जब वह मैदान में कप्तानी के लिए उतरे तो उनका जोश देखने लायक था। वह एक दम निडर होकर क्रिकेट खेल रहे थे। उनको देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दिव्यांग हैं। उनका कहना है कि गिरने का डर होगा तो इंसान जरूर गिर जाता हैं। खेल में गिरना भी एक हिस्सा हैं, बस मन मे खड़ा होने का जोश और हिम्मत होना चाहिए।

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बता दें कि क्रिकेट खेल दिव्यांगों में कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो ओलंपिक के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। अगर उनका चयन होता है तो यह  निश्चित तौर पर प्रयास और उल्लास को पंख लगेंगे। जिसने भी इनका मैच और हौसलों के देखा वह दीवना हो गया।
 

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