भारत की इन 5 जगहों पर नहीं खेले जाते हैं रंग, होली में चाहते हैं बचना तो जरूर जाएं इन जगहों पर
होली एक ऐसा त्योहार है जो देश क्या, विदेशों में भी पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। सभी धर्मों और समुदायों के लोग इस त्योहार को मिल-जुल कर काफी उत्साह से मनाते हैं। इस मौके पर लोग एक-दूसरे को जम कर रंग-गुलाल लगाते हैं और एक से बढ़ कर एक लजीज व्यंजनों का स्वाद लेते हैं। ग्रामीण इलाकों में होली के मौके पर होली के गीत स्थानीय रीति-रिवाजों के मुताबिक गाए जाते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका-दहन का कार्यक्रम होता है। होली हमारे देश के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। लेकिन आपको शायद यह जानकर हैरत होगी कि भारत में कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां होली नहीं मनाई जाती है। आज हम आपको उन्हीं जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं।
Manoj Jha | Published : Mar 8, 2020 10:20 AM IST / Updated: Mar 09 2020, 04:16 PM IST
अंडमान-निकोबार - इन द्वीपों में होली नहीं मनाई जाती है। निकोबार का हैवलॉक आइलैंड काफी फेमस है। यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां समुद्र में घूमने और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने की पूरी सुविधाएं पर्यटकों को मिलती हैं। यहां आने वाले लोग स्कूबा डाइविंग का भी आनंद लेते हैं।
पुलिकात लेक - पुलिकात लेक तमिलनाडु में स्थित है। यहां की आबादी बहुत ही कम है। यहां मछुआरों की एक छोटी आबादी रहती है। ये लोग मछली पकड़कर अपना गुजारा करते हैं। यह बहुत ही शांत जगह है। यहां अभी भी प्रदूषण नहीं है। यहां की शांत आबोहवा में आप घंटों बैठ कर एन्जॉय कर सकते हैं।
महाबलीपुरम - चेन्नई के करीब महाबलीपुरम एक विश्व प्रसिद्ध शहर है। यह अपने मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक नगर है। चेन्नई से यहां सड़क मार्ग से दो घंटे में पहुंचा जा सकता है। यहां होली की कोई भीड़भाड़ नहीं होती, ना ही रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं।
मुन्नार - दक्षिण भारत के राज्यों में होली बड़े पैमाने पर नहीं मनाई जाती है। लोग ज्यादा रंग-गुलाल नहीं खेलते। अगर आपको रंग खेलना पसंद नहीं हो और होली की छुट्टियां आप किसी शांत और मनोरम स्थान पर मनाना चाहते हैं तो इसके लिए केरल के मुन्नार से बेहतर और कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। यहां का मौसम बहुत ही अच्छा रहता है। प्राकृतिक सुंदरता के लिए यह जगह पूरी दुनिया में जानी जाती है। यहां आप चाय बागानों में फैली हरियाली का नजारा देख सकते हैं। यहां शायद ही कोई किसी को रंग लगाता हो। होली का त्योहार यहां के लोग नहीं मनाते।
पुड्डुचेरी - पांडिचेरी या पुड्ड्चेरी में भी होली नहीं मनाई जाती। यह पहले फ्रांस के शासन के अधीन था। यहां के समुद्र तट पर काफी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। यह जगह महर्षि अरविंद को लेकर भी प्रसिद्ध है। यहां चेन्न्ई या बेंगलुरु से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां के बाजार, चर्च और बड़े-बड़े भवन बहुत ही शानदार हैं। यहां भी होली नहीं मनाई जाती है।