लॉकडाउन में हुआ बोर तो जुगाड़ से बना डाली लकड़ी की साइकिल, अब विदेशों से आ तरह है डिलीवरी का ऑर्डर

हटके डेस्क : देश के विकास में इंजीनियर्स (Engineers) का बहुत बड़ा रोल है। उन्ही को सम्मान देने और डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (dr.M Visvesvaraya) के जन्मदिवस के रूप में  15 सितंबर यानी आज  "इंजीनियर्स डे"  (Engineers Day) मनाया जाता है। एक इंजीनियर सिर्फ डिग्री से ही नहीं बल्कि अपने काम से इंजीनियर बनता हैं, कुछ ऐसा ही करिश्मा करके दिखाया है पंजाब के छोटे से गांव जिरकपुर के रहने वाले धनी राम सग्गू ने। धनी राम सिर्फ नाम के ही नहीं बल्कि काम के भी धनी हैं। उनके हाथ से बनी लकड़ी की साइकिल (Wooden Bicycle) पूरे देश में पहचान बना रही है। आइए आपको भी बताते हैं धनी राम और अनके इस इंवेंशन (invention) के बारे में।

Asianet News Hindi | Published : Sep 15, 2020 4:54 AM IST / Updated: Sep 15 2020, 01:21 PM IST

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लॉकडाउन में हुआ बोर तो जुगाड़ से बना डाली लकड़ी की साइकिल, अब विदेशों से आ तरह है डिलीवरी का ऑर्डर

महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वराया के जन्मदिन पर 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। आज के दिन हम उन लोगों को सलाम करते हैं जिनके पास इंजीनियरिंग की कोई डिग्री तो नहीं है पर काम से वो नंबर वन इंजीनियर हैं।
 

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पंजाब के पास  जिरकपुर के रहने वाले 40 साल के धनी राम सग्गू कारपेंटर (carpenter)  हैं। उन्होंने अपने हाथ से लकड़ी की साइकिल तैयार की और आत्मानिर्भर भारत के लिए मिसाल पेश की है।

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कोरोना महामारी के चलते सग्गू का काम धंधा चौपट हो गया था। ऐसे में उन्होंने निराश न होते हुए कुछ अनोखा करना का सोचा और समय का उपयोग किया।
 

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जिरकपुर में ही उनकी दुकान 'नूरा इंटिरियर्स'  है, जो ज्यादातर घरों में दरवाजे, अलमारी और अन्य काम के लिए जानी जाती थी। पर अब उनकी दुकान एक अनोखी साइकिल बनाने वाले के नाम से जानी जाती है।

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सग्गू बताते हैं कि मैं हमेशा से ही एक साइकिल लेना चाहता था पर घर की स्थिति को देखते हुए मैं साइकिल नहीं ले पाया। लॉकडाउन में सब बंद हो जाने से मैंने समय का उपयोग किया और लकड़ी की एक साइकिल बना ली।

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सग्गू ने सबसे पहले पेपर पर साइकिल का डिजाइन फाइनल किया। इसके बाद साइकिल के पार्ट्स जैसे - बॉडी, हैंडल, पहिए और रिम्स को लकड़ी से बनाया। चेन, पैडल, सीट और साइड-स्टैंड जैसे पार्ट्स को उन्होंने एक पुरानी साइकिल से लिया। सभी हिस्सों को जोड़कर उन्होंने ये साइकिल बनाई।

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धनी राम बताते हैं कि इस साइकिल से एक दिन में 25-30 किलोमीटर तक सफर किया जा सकता है। धनी राम की लकड़ी की साइकिल की कीमत 15 हजार रुपए है।

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धनी राम सग्गू की ये साइकिल इतनी मशहूर हुई की उन्हें इसके लिए कई सारे ऑर्डर भी मिले हैं। उन्होंने बताया कि अब तक मैं 8 साइकिल बेच चुका हूं और 5 पर काम चल रहा है।

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इतना ही नहीं हीरो साइकिल के मैनिजिंग डायरेक्टर पंकज मुंजाल (Pankaj Munjal) ने भी सग्गू को फोन कर ये साइकिल बनाने पर बधाई दी। चेन्नई की एक कंपनी ने भी उनके साथ संपर्क किया है।

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धनी राम कहते हैं कि "कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है और किसी के भी भाग्य को बदल सकती है।" 

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