बेटी को पालने के लिए स्कूटी पर राजमा चावल बेचती है ये मां, भूखों को खिला देती है मुफ्त खाना

नई दिल्ली. मां एक योद्धा होती है अपने बच्चों को पालने और उनके लिए खुशियां जुटाने के लिए वो हर मुश्किल से सामना करती है। ऐसी ही एक सिंगल मदर है जो बेटी को पालने सड़क पर खाना बेचने लग गई। अपने हाथों से खाना बनाकर वो दूसरों का पेट भरती है बदले में उसे चंद पैसे मिल जाते हैं। उसके पास कोई ठेला, होटल या बड़ी दुकान नहीं है वो अपने स्कूटर पर भी बर्तन चूल्हा रखकर अपनी इसे चला रही है। ये हैं दिल्ली के पीरागढ़ी की सरिता कश्यप जो स्कूटी पर राजमा चावल वाली के नाम से फेमस हैं। आइए जानते हैं उनके संघर्ष की पूरी कहानी....

Asianet News Hindi | Published : Mar 16, 2020 8:46 AM IST / Updated: Mar 16 2020, 02:36 PM IST

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बेटी को पालने के लिए स्कूटी पर राजमा चावल बेचती है ये मां, भूखों को खिला देती है मुफ्त खाना
सरिता एक ऑमोबाइल कंपनी में नौकरी करती थी पर शादी टूटने के बाद उन्हें सिर्फ खुद को ही नहीं अपनी एक बच्ची को भी पालना था और पैसे भी कमाने थे। ऐसे में उन्होंने अपना खुद का ठेला लगाने की सोची। सिंगल मदर सरिता स्कूटर पर राजमा चावल का स्टॉल लगाती हैं और लोगों को खाना खिला रही हैं। मां के इस जज्बे को लोग सलाम कर रहे हैं।
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सरिता पश्चिम विहार में रहती हैं। शादी को 24 साल हो गए हैं। रिश्ते अच्छे नहीं रहे तो उनका तलाक हो गया लेकिन बच्ची को वो पति के पास न छोड़कर अपने साथ ले आईं। पिछले 20 साल से वो सिंगल मदर हैं। वो पढ़ी लिखी हैं फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलती हैं। उन्होंने कई कंपनियों में काम किया है पर बेटी की देखभाल के लिए उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।
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पैसों की कमी देख वो एक दिन राजमा चावल बनाकर स्कूटी पर लाद बेचने चली गईं। उन्होंने सोचा कोई खरीदकर खाएगा तो ठीक है वरना वापस लौट आएंगी। उनके राजमा चावल लोगों ने खाए और पैसे भी दिए। ऐसे में उनका बिजनेस चलने लगा और वो रोज पीरागढ़ी में मेट्रो स्टेशन के पास पेड़ के नीचे स्कूटर पर राजमा चावल बेचने लगीं।
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सरिता के पास एक बेटी है वो स्कूल में पढ़ती है। बेटी का पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होंने राजमा चावल बेचना शुरू किया था। अब वो अच्छा खासा पैसा कमाती हैं और अकेले के दम पर अपना घर चला रही हैं।
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40 से 60 रु. में वो लोगों को भरपेट राजमा चावल खिला देती हैं। इतना ही नहीं अगर किसी के पास पैसे नहीं भी हैं तो भी भूखा नहीं जाने देती हैं। कहती हैं आप खाना खा लो, पैसे जब हो तब दे जाना। सरिता का दिल बहुत बड़ा है वो स्टेशन और पेट्रोल पंप के पास घूमने वाले गरीब बच्चों को मुफ्त में  खाना खिलाती हैं। कुछ बच्चों के स्कूल के लिए किताब, ड्रेस, जूते भी खरीद कर देती हैं।
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सरिता की कहानी सामने आने के बाद लोग उनके जज्बे और संघर्ष को सैल्यूट कर रहे हैं। हो भी क्यों न मां का दिल ही इतना बड़ा होता है। अपने बच्चे के लिए मां किसी भी पहाड़ों जैसी बड़ी मुश्किलों को भी पार कर जाती है।
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