जब गुस्से में थैले में हड्डियां लेकर अटलजी से मिलने पहुंची थी बंगाल की शेरनी, जानिए कुछ दिलचस्प बातें

पश्चिम बंगाल में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसे लेकर वहां राजनीति माहौल हॉट है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी मोदी-शाह की जोड़ी के सामने शेरनी से दहाड़ रही हैं। बता दें कि 65 वर्षीय ममता बैनर्जी का 5 जनवरी को जन्मदिन है। वे तृणमूल कांग्रेस की संस्थापक हैं। ममता बैनर्जी के तेवर बचपन से ही गर्म रहे हैं। यही वजह कि उन्हें बंगाल की शेरनी कहा जाता है। उनके साथ ऐसे कई किस्से जुड़े हुए हैं, जो राजनीति में आज भी सुने जा सकते हैं। ममता बैनर्जी को बंगाल में दीदी कहकर पुकारा जाता है। जब वे 17 साल की थीं, तब उनके पिता प्रोमलेश्वर का बीमारी से निधन हो गया था। बेहद गरीबी में पढ़ी-बढ़ी ममता ने तभी निश्चय कर लिया था कि वे जिंदगीभर साधारण जीवन गुजारेंगी। ममता तब से ही सफेद साड़ी पहनती आ रही हैं। ममता पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने बसंती देवी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। फिर जोगेशचंद्र चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली। ममता बैनर्जी से जुड़े कई किस्से हैं। इनमें एक किस्सा थैले में हड्डियां लेकर दिल्ली पहुंचने का भी है। आइए जानते हैं दीदी से जुड़े कुछ किस्से...

Asianet News Hindi | / Updated: Jan 04 2021, 11:59 PM IST

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जब गुस्से में थैले में हड्डियां लेकर अटलजी से मिलने पहुंची थी बंगाल की शेरनी, जानिए कुछ दिलचस्प बातें

यह मामला जनवरी, 2011 का है। तब बंगाल में हिंसा हुई थी। इसमें तृणमूल के 11 समर्थक मारे गए थे। आरोप था कि यह हिंसा सीपीएम के लोगों ने की थी। ममता बैनर्जी पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टी की बुद्धदेब भट्टाचार्य की सरकार को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ी हुई थीं। लेकिन जब उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो वे थैली में हड्डियां भरकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने दिल्ली पहुंच गई थीं। उन्होंने हड्डियां निकालकर वाजपेयी की टेबल पर रख दी थीं।

(तस्वीर: सुनील दत्त और राजीव गांधी के साथ ममता बैनर्जी)

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ममता बैनर्जी जयललिता के बाद दूसरी ऐसी महिला मुख्यमंत्री रही हैं, जो एनडीए सरकार के लिए हमेशा परेशानी बनी रहीं। 1996 में वाजपेयी की 13 दिन की सरकार के बाद देवेगौड़ा की सरकार बनी। तब ममता कांग्रेस की सांसद थीं। वे देवेगौड़ा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अड़ी थीं। उस वक्त जॉर्ज फर्नांडिस ममता बैनर्जी को वाजपेयी से मिलाने ले गए थे। वाजपेयी ने तब उनका नाम फायरिंग लेडी रखा था।


(स्व. अटलजी के साथ ममता बैनर्जी)

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एक बार ममता बैनर्जी ने पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर हंगामा कर दिया। वाजपेयी खुद उन्हें मनाने कोलकाता पहुंचे। तब वाजपेयी ने उनकी मां के पैर छूकर कहा था कि आपकी बेटी बहुत शरारती है।
(ममता बैनर्जी के पैर छूते वाजपेयी)

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ममता बैनर्जी किशोर अवस्था से ही समाजसेवा से जुड़ी रहीं। उन्होंने तय किया था कि वे ताउम्र कुंवारी रहेंगी। यह वजह है कि उनके व्यक्तित्व में जोश झलकता है। वे किसी से दबती नहीं हैं।

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ममता बैनर्जी ने बंगाल की राजनीति से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी) के करीब 34 साल लंबे शासनकाल को खत्म किया था। बता दें कि स्व. ज्योति बसु 1977 से 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे।
(ज्योति बसु के साथ ममता)

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ममता बैनर्जी को लेखन के अलावा पेंटिंग बनाने का भी शौक है। राजनीति में आने से पहले वे एक स्कूल में टीचर  थीं। एक समय उन्होंने सेल्सगर्ल का भी काम किया।

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अकसर आपने ममता बैनर्जी को सड़क पर तेज कदमों से भागते देखा होगा। बैनर्जी अपने स्वास्थ्य का बहुत ख्याल रखती हैं। वे नियमित पैदल चलती हैं। खाने को लेकर भी वे हमेशा सजग रहती हैं। तेल और मसालेदार भोजन से वे दूर रहती हैं।

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ममता बैनर्जी को गीत-संगीत में बहुत रुचि है। 2018 में उन्होंने दुर्गा पूजा पर आधारित अपना एलबम रौद्रर छाया लॉन्च किया था। इसमें उन्होंने 7 गाने कंपोज किए थे। 

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ममता बैनर्जी के बारे में कहा जाता है कि वे अपने चुनावी नारे खुद बनाती हैं। उनके बनाए कुछ नारे खूब पॉपुलर हुए थे। जैसे ‘ठाडा माथ कूल कूल, आबार आश्बे तृणमूल’ (ठंडा माथा कूल कूल, फिर आएगी तृणमूल), हाथ, हाथुड़ी, पद्दो, होबे एबार जोब्दो (हथ, हथौड़ी, कमल फिर मिलेगा तोहफा माकूल) आदि।

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ममता बैनर्जी ने 1997 में कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की नींव रखी थी। ममता बैनर्जी ने 1984 में जादवपुर संसदीय क्षेत्र से माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर सबसे कम आयु की सांसद होने का गौरव हासिल किया था।

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