जितेंद्र बताते हैं कि 2013 में वे किसी गांव में गए थे। वहां देखा कि लोग खाट पर बैठकर नहाते हैं, ताकि पानी की बचत हो सके। इस पानी का इस्तेमाल कपड़े धोने में करते थे। पानी की किल्लत देखकर उनके दिमाग में ऐसा वॉटर फिल्टर बनाने का आइडिया आया, जो गंदे पानी को साफ कर सके। यह पानी खाने-पीने को छोड़कर बाकी कामों में इस्तेमाल हो सके। जितेंद्र के वॉटर फिल्टर की कीमत 7000 रुपए है। इसके रखरखाव पर सालभर में सिर्फ 500-700 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ‘शुद्धम’ फ़िल्टर ग्रेविटी के के सिद्धांत पर काम करता है। यह कई चैम्बर से गुजरते हुए नीचे जाकर इकट्ठा होता है। जितेंद्र ‘शुद्धम’ के लिए तीन पेटेंट फाइल कर चुके हैं। आगे पढ़ें-घर में पड़ा था ढेर कबाड़, इससे पहले कि घरवाले कबाड़ी को देते बेटे ने बना दी गजब मशीन