लेबनान स्वर्ग था नेताओं ने नर्क बना दिया..बेरुत में 137 लोगों की मौत के बाद सरकार पर ऐसे भड़के लोग

बेरुत. लेबनान के शहर बेरुत में हाल ही में हुए ब्लास्ट के बाद वहां की जनता और कार्यकर्ताओं का गुस्सा जोरों पर है। यह सभी लोग सरकार के लापरवाह रवैया के खिलाफ गुस्से में है। बेरुत में हुए ब्लास्ट में एक तरफ जहां 137 लोगों की मौत हुई है तो साथ ही यहां 5000 से ज्यादा लोग घायल हैं। साफ-सफाई के कार्य में लगे लोगों ने कसम खाई है कि जैसे ही अपना काम खत्म करेंगे वह सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2020 12:09 PM IST / Updated: Aug 07 2020, 05:43 PM IST
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लेबनान स्वर्ग था नेताओं ने नर्क बना दिया..बेरुत में 137 लोगों की मौत के बाद सरकार पर ऐसे भड़के लोग

वहीं दूसरी तरफ लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिअब ने कसम खाई है कि वह शहर में होने वाले इस दर्दनाक विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। हम आपको बताते चलें कि लेबनान की जनता और सरकार का गुस्सा तब फूट पड़ा जब 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट वहां की बंदरगाह के  निकट फट पड़ा। 

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इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक तरफ सरकार यह दावा कर रही है कि इस घटना से जुड़े लोगों को इसकी भरपाई करनी होगी। वही जनता इस घटना का सारा श्रेय वहां के राजनेताओं को दे रही है स्थिति काफी गंभीर है। जहां एक तरफ शहर में साफ सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसे वहां के लोकल लोग खासकर युवा वर्ग ने अपने हाथों में ले लिया है। वहीं दूसरी तरफ इस घटना से प्रभावित लोगों को विस्थापित करना और बुनियादी जरूरतों को मुहैया करवाना एक बड़ी समस्या बन गई है।

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यहां सरकार और जनता के बीच खींचातानी का माहौल कुछ नया नहीं है। यह बहुत पहले यानी पिछले साल अक्टूबर में सामने आया, जब वहां के कुछ राजनेताओं को भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त पाया गया इस माहौल में जनता काफी गुस्से में है। जनता ने राजनेताओं के इस लापरवाह व्यवहार को बर्दाश्त ना करने की कसम खा रही है।

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हाल फिलहाल में बेरुत से विस्फोट के बाद होने वाले नुकसान से जुड़ी तस्वीरें और वहां के लोगों के बयान सामने आ रहे हैं। जहां एक तरफ लोग मदद के कार्य में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार के प्रति अपने गुस्से को भी जाहिर कर रहे हैं।

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लीना दाऊद मर मिखाइल की रहने वाली हैं और उनकी उम्र 45 साल है। उनका कहना है, इस विस्फोट ने सब कुछ खत्म कर दिया, वह राजनेताओं को राज्य का दुश्मन कहती हैं। वे कहती हैं कि इन्होंने हमारे सपने हमारा भविष्य कुचल कर रख दिया है। लेबनान एक स्वर्ग था, लेकिन इन लोगों ने इसे नर्क बना दिया है।

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कैसा राज्य? यह कहना है 42 साल की मेलिसा वडाला का मनीषा जो स्वयंसेवक के रूप में अपने राज्य की और वहां के लोगों की मदद करती हैं, कहती हैं, यह विस्फोट बेरुत बंदरगाह के कुछ सौ मीटर दूर ही हुआ इस रिपोर्ट में लोगों के घरों के खिड़की दरवाजे रेस्टोरेंट पर उनके घर सब उड़ा दिए। यह मंगलवार का दिन हमें हमेशा याद रहेगा। 

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साथ ही उनका कहना है कि बुधवार की सुबह से ही हम सभी यहां साफ-सफाई के कार्यों में जुटे हुए हैं। अलीशा का मानना है कि यहां के युवा वर्ग की एकजुटता ही इस विनाशकारी रात के बाद आशा की झलक ला सकती थी। वह कहती है यहां के युवा प्लास्टिक ग्लास और मास्क पहनकर सड़कों पर बिखरे कांच और मलबे को साफ कर रहे हैं। 

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यहां के लोगों का मानना है कि सरकार मदद के लिए सही तरीके से सामने नहीं आ रही है। इस घटना के बाद कई लोगों की मौत हुई है और लोगों में जो गुस्सा है। चाहे वह भ्रष्टाचार हो या चाहे यह विस्फोट की घटना सरकार को उसका सामना करना ही पड़ेगा।

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वे कहती हैं कि हम इस देश को ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं। यह प्रयास हम पिछले 9 महीने से कर रहे हैं और इसे हम आगे भी जारी रखेंगे। क्योंकि युवा वर्ग का मानना है कि यदि सच में हमारा कोई राज्य होता कोई सरकार होती तो इस समय वह सड़क पर होती। वह हमारे साथ इस सफाई और विस्थापन के कार्य में हाथ बता रही होती। कहां है वह लोग?

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यहां के युवा वर्ग के लोगों ने छोटे-छोटे ग्रुप बना लिए हैं। जिसमें वह पूरी ऊर्जा के साथ सड़क पर बिखरे कांच और बिल्डिंग के मलवे को साफ करने में जुटे हैं उनके हाथ में प्लास्टिक बैग्स हैं। वे पीड़ित लोगों की भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। जिन लोगों के घरों को इस घटना के बाद नुकसान पहुंचा है। जो अपाहिज हो गए हैं ऐसे लोगों को रहने के लिए सही जगह मुहैया कराना यह युवा वर्ग अपना धर्म समझ रहा है। ऐसे ही काम में जुड़े हैं हसन अबू नसर जिनकी उम्र 30 साल है और जो अपनी सेवा अपने राष्ट्र के लिए दे रहे हैं।

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हसन का कहना है कि हमारे पास ऐसा राज्य नहीं है जो ऐसे कदम उठा सके। इन सब मामलों का ध्यान अब हमें खुद रखना होगा। हमें खुद एकजुटता से आगे आना होगा और एक दूसरे की सहायता करनी होगी वे कहते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों से पीड़ितों के लिए सहायता करने को लोग आगे आ रहे हैं। वे कहते हैं कि कैथोलिक ने घोषणा की है कि अपने मठों और धार्मिक स्कूलों को आवश्यक लोगों के लिए आश्रय के रूप में खोलने को तैयार हैं।

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हसन का मानना है कि इस समय सबसे ज्यादा और सबसे जरूरी भोजन है। जिसे शीघ्र अति शीघ्र मुहैया कराने की जरूरत है हमें पीने के पानी की आवश्यकता है।

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सभी कुछ तो नहीं लेकिन मैं भोजन, पानी, चॉकलेट और मोरल सपोर्ट लेकर आई हूं। रीटा, उम्र 26 साल और अपने देश से भरपूर प्यार मैं इस बात को कहती हैं। वे कहती हैं मैं लोगों को रोते हुए नहीं देख सकती। मुझे लगता है कि इस समय इन्हें मदद की बहुत जरूरत है और हम सभी को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। खासकर हमारे देश के युवा वर्ग को, किसी को भी घर पर बैठकर प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। इस समय केवल एक मुस्कान भी इनकी बहुत बड़ी मदद कर सकती है।

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जहां लोग अपने श्रम के द्वारा, मोरल सपोर्ट, कुछ लोग भोजन और पानी की सुविधा, तो कुछ लोगों ने सोशल मीडिया को मदद के रूप में अपना लिया है। अबतू अमीर कहते हैं कि मैंने इसे जरूरी समझा सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा माध्यम है। जिससे दूर दराज में बैठे लोगों की अपनी सहायता इन जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा सकते हैं। वे कहते हैं कि ऐसे भी लोग हैं जो दरवाजे और खिड़कियों का काम आधे दामों पर करने के लिए तैयार है। इस आपदा की स्थिति में लोग और बहुत सारे परिवार इन जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। मुझे लगता है कि कुछ ही महीनों में हम इस नुकसान की भरपाई कर पाएंगे। मुझे 7 हजार से ज्यादा फोन कॉल आते हैं। अंत में वे कहते हैं कि क्या आपको लगता है कि सरकार ऐसा काम कर सकती है? असल में हमें उनका इंतजार ना करते हुए खुद ही एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना होगा।

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