हर तरफ थे लाशों के ढेर, शवों के उड़ गए थे चिथड़े...आज के दिन अमेरिका के गुस्से से तबाह हुआ था ये शहर

टोक्यो. 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु हमला किया था। आज जापान इस परमाणु हमले की 75वीं बरसी मना रहा है। इस हमले के तीन दिन बाद ही अमेरिका ने नागासाकी में परमाणु हमला किया था। इन हमलों में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। हालत यह थी कि सड़कें और पार्क शवों से पटे थे। लाशों के चिथड़े उड़ गए थे। शवों पर सिर्फ कपड़े ही नहीं फटे थे, यही हाल शरीर के हिस्सों का भी हुआ था। इन परमाणु हमलों में हिरोशिमा और नागासाकी का 90% हिस्सा तबाह हो गया था। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 6, 2020 5:19 AM IST / Updated: Aug 06 2020, 01:12 PM IST

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हर तरफ थे लाशों के ढेर, शवों के उड़ गए थे चिथड़े...आज के दिन अमेरिका के गुस्से से तबाह हुआ था ये शहर

इससे कहीं ज्यादा लोग आज तक इस परमाणु हमले का दर्द झेल रहे हैं। नागासाकी में हमले के बाद 60 हजार फीट की ऊंचाई तक धुआं का गुबार उठा था। अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान में दो जगहों हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए थे। 

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अकेले हिरोशिमा में 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई थी। हमला इतना तेज था कि पूरा शहर तबाह हो गया था। इन परमाणु हमलों का इतना असर पड़ा कि यहां अभी तक दिव्यांग बच्चे पैदा होते हैं। 

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क्यों किया था परमाणु हमला?
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में जापान और अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए थे। जापान की सेना ने ईस्ट-इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडो-चाइना को निशाना बनाने का फैसला किया। जापान के इस कदम का अमेरिका ने विरोध किया था। 
 

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अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने आत्मसमर्पण के लिए जापान पर परमाणु हमला किया। उन्होंने जापान को चेतावनी दी थी कि वह समर्पण करें या विनाश के लिए तैयार रहे। जापान ने अमेरिका की चेतावनी को नजरअंदाज किया। इसका नतीजा ये हुआ कि अमेरिका ने तीन दिन के भीतर दो परमाणु हमले किए।
 

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पहला परमाणु बम जापान के हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने गिराया था। 

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यह बम 'इनोला गे' विमान से गिराए गए थे। इसे कर्नल पॉल तिब्बेत उड़ा रहे थे।

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हिरोशिमा पर जो बम गिराया गया था, वह 13-16 किलोटन का था। इसका नाम लिटिल ब्वॉय था। हालांकि, इसका असर कहीं से लिटिल नहीं था।

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यह 600 मीटर की ऊंचाई से जमीन पर गिराया गया था। इस हमले में 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी। इस हमले का धुआं जमीन से 20 हजार किमी ऊपर तक उठा था। 

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हमले के तुरंत बाद 10 हजार लोगों की तुरंत मौत हो गई थी। बाकी लोगों ने इलाज के दौरान और बीमारी से दम तोड़ दिया था। सालों तक इस हमले के चलते लोग मारे जाते रहे। 

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अमेरिका ने तीन दिन बाद नागासाकी पर फैट मैन बम गिराया। इस हमले में 74000 लोग मारे गए थे। फैट मैन एक मोटे आदमी की तरह नजर आता था।

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अमेरिका ने इसे भी एयरफोर्स के बी-29 बॉम्बर विमान से 9 अगस्त को गिराया था। दुनिया का यह पहला मौका था, जब युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था। 

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करीब 10 हजार लोगों की मौत इस हमले में तुरंत हो गई थी। जबकि सालों तक बीमारी और जख्मी लोगों की मौत होती रही।

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नागासाकी शहर परमाणु बम हमले के बाद इस तरह से वीरान हो गया था।

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 नागासाकी में हमले के बाद 60 हजार फीट तक धुआं का गुबार उठा था। 

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हिरोशिमा में बम धमाके से इस तरह नुकसान पहुंचा था।

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हमले की जगह सालों तक इस तरह वीरान नजर आती रही।

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हिरोशिमा में 6 अगस्त  को सुबह 8.15 बजे परमाणु बम गिरा था। उस वक्त ज्यादातर लोग सो रहे थे। इस घड़ी को हिरोशिमा शांति म्यूजियम में लगाया गया है। इसमें हिरोशिमा में बम गिरने का समय दर्शाया गया है।

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