बेटी को पालने 'मर्द' का भेष बना दुकान चला रही महिला, दर्दभरी कहानी सुन लोगों ने भेज डाले 1 लाख

लाहौर. महिलाओं को घर की चाहरदीवारी से निकल काम करना हो तो मुश्किलें कम नहीं। महिलाओं को यौन शोषण, छेड़छाड़ जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इस सब मुश्किलों से रोजाना वास्ता न हो इसलिए एक महिला ने खुद को पूरी तरह मर्द बना डाला। वो भेष बदलकर अपना और अपनी बेटी का पेट पाल रही है। किसी को नहीं मालूम था बाजार में चाय खोका चलाने वाला ये शख्स एक औरत है? पर अब पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाली इस सिंगल मदर के संघर्ष की कहानी खुलकर सामने आ गई है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2020 7:00 AM IST / Updated: Feb 16 2020, 01:35 PM IST

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बेटी को पालने 'मर्द' का भेष बना दुकान चला रही महिला, दर्दभरी कहानी सुन लोगों ने भेज डाले 1 लाख
पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाली फरहीन की जिंदगी बहुत दुखों में गुज रही थी। उसके घर में कमाने वाला कोई नहीं है। वो अकेली ही है और उसके कांधों पर एक 9 साल की बच्ची की जिम्मेदारी है। उसकी बच्ची स्कूल जाती है लेकिन मां को चाय का खोका (स्टॉल) चलाकर गुजारा करना पड़ रहा है। जब उसने लाहौर के अनारकली बाजार में दुकान चलाने की सोची तो सबसे पहले महिला होने का डर सताया। महिला होकर दुकान चलाएगी तो मुश्किलें आएंगी। फब्तियां कसी जाएंगी, छेड़छाड़ होने का भी डर है ऐसे असहज माहौल में वो काम कैसे करेगी?
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फरहीन बताती हैं कि उसने खुद को पूरी तरह मर्द बनाने की सोची और जींस, पैंट शर्ट और टीशर्ट पहन दुकान पर बैठना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल भूल गई कि वो एक औरत है। उसने मर्द का भेष बनाकर दुकान चलाना शुरू कर दिया और लोग पहचान भी नहीं पाते। ऐसे में उसे काम करना आसान होता।
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फरहीन अपनी बच्ची के साथ एक हॉस्टल में रहती है। उसे दुकान और घर का किराया भी देना होता है और बच्ची के स्कूल की फीस भी भरनी होती है। पर फरहीन खर्च चलाने लायक भी दुकान से मुनाफा नहीं कमा रही थी। वो बेबस है। तस्वीरों में देख सकते हैं कि उसकी दुकान खाली पड़ी है। उसमें सामान भरने के लिए उसके पास पैसे नहीं है। वो नहीं चाहती थी कि कोई उसकी मदद करे वो मेहनत के दम पर पैसे कमाना चाहती है अगर वो किराया नहीं भर पाई तो वो सड़क पर आ जाएगी।
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ऐसे में ह्यूंस ऑफ लाहौर नाम के फेसबुक पेज पर किसी ने उसकी कहानी पब्लिश कर दी। वहां लोगों ने फरहीन की जद्दोहद को जाना और दिल से रो पड़े। लोगों ने फरहीन के लिए चंदा इकट्ठा कर उसे मदद भेजना शुरू कर दिया। मात्र पांच दिनों के अंदर फरहनी के घर के पते पर लाखों रुपये का ढेर लग गया और उसे अब तक 1 लाख 94 हजार की मदद मिल चुकी है।
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