आइसलैंड :
आइसलैंड में भी कभी श्रीलंका जैसे हालात बन गए थे। आइसलैंड के तीन बैंकों ने 85 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज लिया था, लेकिन वो इसे चुका नहीं पाए। बैंकों ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया, जिसका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ा। लोगों की नौकरियां चली गई, लोग अपना कर्ज नहीं चुका पा रहे थे। दूसरी ओर बाजार में महंगाई बढ़ने से लोगों की जमा पूंजी भी खत्म होने लगी। इस आर्थिक संकट की प्रमुख वजह आइसलैंड में प्राइवेट बैंकों द्वारा बिना गारंटी और आसान शर्तों पर अंधाधुंध कर्ज देना था।