श्रीलंका में महंगाई के खिलाफ आंदोलन का सिम्बल बनी मां-बच्चे की ये तस्वीर, लोग अब 'गांधीगीरी' पर उतरे

कोलंबो. महंगाई के खिलाफ श्रीलंका में इस समय जबर्दस्त जनआंदोलन छिड़ा हुआ है। शुरुआत में कई जगहों से हिंसक प्रदर्शन की खबरें आईं, लेकिन अब श्रीलंका ने पड़ोसी देश भारत की तर्ज पर गांधीगीरी का तरीका अपना लिया है। मां-बच्चे की ये तस्वीर आंदोलन का चेहरा बन गई है। पोस्टर पर इनकी तस्वीर छापी जा रही हैं। चित्रकारी की जा रही है। वहीं, महिलाएं बच्चों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। लोग साफ-सफाई करके अपना विरोध जता रहे हैं। कई बुजुर्ग अकेले ही बीच सड़क धरने पर बैठने लगे हैं। बता दें कि 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। यहां महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2022 6:35 AM IST / Updated: Apr 05 2022, 12:07 PM IST

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श्रीलंका में महंगाई के खिलाफ आंदोलन का सिम्बल बनी मां-बच्चे की ये तस्वीर, लोग अब 'गांधीगीरी' पर उतरे

पिछले दिनों श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसी बीच यह महिला अपने बच्चे के साथ आंदोलन में उतरी थी। उसकी यह तस्वीर जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वो आंदोलन का प्रतीक बन गई। बता दें कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (PM Mahindra Rajpaksha) के अलावा श्रीलंका के पूरे कैबिनेट के सभी 26 मंत्रियों के इस्तीफा देने के बावजूद लोग आंदोलित हैं। इस समय देश में इमरजेंसी लागू है।
 

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मां बच्चे की तस्वीर को दीवारों और पोस्टर पर भी बनाकर लोग प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें कि श्रीलंका 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूब गया है। श्रीलंका का 70 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है। यही नहीं, एक महीने में 45 प्रतिशत करेंसी गिरी चुकी है। डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपए की कीमत 292.50 तक जा गिरी है। श्रीलंका को 10 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है।

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प्रदर्शनकारी अब 'गांधीगीरी' तौर-तरीके भी अपना रहे हैं। वे सड़कें साफ कर रहे हैं। इस बीच श्रीलंका के शीर्ष चिकित्सा निकाय(Sri Lanka's top medical body) ने देश में दवाओं और उपकरणों की कमी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल(public health emergency) घोषित कर दिया है। यानी अब सिर्फ इमरजेंसी के दौरान ही लोगों को दवाएं मिलेंगी। 

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देश में अब बुजुर्ग जगह-जगह धरने पर बैठे दिखाई देने लगे हैं। दक्षिण एशियाई देश श्रीलंका आर्थिक और विदेशी मुद्रा संकट के कारण बिजली कटौती और कमी से जूझ रहा है। देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि  राजपक्षे के मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन उन्होंने अब तक वे कुर्सी पर डटे हुए हैं। गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार को कहा कि वह संसद में 113 सीटों का बहुमत साबित करने वाली किसी भी पार्टी को सरकार सौंपने के लिए तैयार हैं।

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लोग बच्चों के साथ प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है हिंसा में कमी आई है। पुलिस भी लाठीचार्ज करने से बच रही है। इधर, श्रीलंका के केंद्रीय बैंक(governor of Sri Lanka's central bank) के गवर्नर अजित निवार्ड कैबराल (Ajith Nivard Cabraal) के इस्तीफे के बाद डिप्टी गवर्नर वीरसिंघे के 7 अप्रैल को सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर के रूप में पदभार संभालने की उम्मीद है।

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 श्रीलंक में विदेशी मुद्रा की भारी कमी के चलते  सरकार को ईंधन सहित आवश्यक आयात के लिए भुगतान करने में असमर्थ कर दिया है। लगभग 22 मिलियन लोगों का द्वीप राष्ट्र 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पिछले महीने श्रीलंकाई मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का 30% से अधिक खो चुकी है।

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श्रीलंका में खुदरा मुद्रास्फीति(retail inflation)फरवरी में पहले ही 17.5 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इस बीच भारत ने श्रीलंका को डीजल और अन्य मदद पहुंचाई है।

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