सूडान में सेना के तख्ता पलट के बाद जनता सड़कों पर, सेना संघर्ष में कम से कम दस लोग मारे गए, 150 से अधिक घायल

Published : Oct 26, 2021, 03:41 PM ISTUpdated : Oct 26, 2021, 04:09 PM IST

खार्तूम। सूडान (Sudan) में तख्ता पलट (military coup) के बाद जनता सड़कों पर है। सेना ने सोमवार की देर रात तख्ता पलट दिया था। तख्तापलट के नेता जनरल अब्देल फत्ताह बुरहान (Gen. Abdel Fattah Burhan) ने नागरिक शासन (civilian rule) को भंग कर दिया है। राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और आपातकाल (emergency)  लागू कर दिया गया है। नागरिक सत्ता छीन जाने और आपातकाल लागू होने के बाद सूडान की जनता सड़कों पर है। विरोध प्रदर्शन शुरू हैं और सेना इस विरोध प्रदर्शनों को बंदूकों के बल पर दबा रही। तानाशाही प्रशासन और जनता के बीच हुए संघर्ष में कम से कम दस लोगों के मारे जाने की सूचना है जबकि डेढ़ सौ के आसपास घायल हैं। सूडान की राजधानी (Khartoum)और पूरे देश में नारे और झंडे लहराते हुए लोगों ने देश भर में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। 

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सूडान में सेना के तख्ता पलट के बाद जनता सड़कों पर, सेना संघर्ष में कम से कम दस लोग मारे गए, 150 से अधिक घायल

सैनिकों द्वारा सोमवार को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। एक रात के विरोध प्रदर्शन के बाद, प्रदर्शनकारी नागरिक शासन की वापसी की मांग को लेकर मंगलवार सुबह सड़कों पर उतर रहे। "नागरिक शासन लोगों की पसंद है," उन्होंने जलते हुए टायरों की बैरिकेड्स लगाते हुए नारा लगाया। कई महिलाएं "सैन्य शासन को नहीं" के नारे लगाते हुए भी भाग ले रही हैं।

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सूडान का हवाईअड्डा (airport)बंद है और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निलंबित हैं। इंटरनेट और ज्यादातर फोन लाइनें भी ठप हैं। सेंट्रल बैंक के कर्मचारी कथित तौर पर हड़ताल पर चले गए हैं, और कहा जाता है कि देश भर के डॉक्टर आपात स्थिति को छोड़कर सैन्य अस्पतालों में काम करने से इनकार कर रहे हैं।

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तख्तापलट की अगुआई करने वाले नेता जनरल अब्दल फत्ताह अल-बुरहान ने सैन्य-नागरिक शासक समिति को भी भंग कर दिया। इस काउंसिल का गठन दो साल पहले तानाशाह ओमार अल-बशीर को सत्ता से हटाने के बाद देश में डेमोक्रेसी लागू करने के लिए किया गया था। जनरल अब्देल फतह बुरहान ने राजनीतिक अंदरूनी कलह को दोष देकर अधिग्रहण को सही ठहराने की कोशिश की है। नागरिकों के विरोध प्रर्दशनों को देखते हुए विरोध प्रदर्शनों के अगुवा लोगों को गिरफ्तार करने के लिए सैनिकों के खार्तूम में घर-घर जाने की खबर है।

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2019 में हस्ताक्षर किए गए नागरिक और सैन्य नेताओं के बीच समझौते को सूडान को लोकतंत्र की ओर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन पिछले कई तख्तापलट प्रयासों के साथ नाजुक साबित हुआ है, जो एक महीने पहले ही अंतिम था। सत्ता-साझाकरण परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह बुरहान ने कहा कि सूडान अभी भी नागरिक शासन में संक्रमण के लिए प्रतिबद्ध है, जुलाई 2023 के लिए चुनाव की योजना है।

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जनरल अब्दल फत्ताह अल-बुरहान ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि सेना को देश की हिफाजत करनी होगी। उन्होंने वादा किया कि जुलाई 2023 में चुनाव होंगे और तब चुनी गई सरकार को सत्ता सौंप दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश अभी जिस दौर से गुजर रहा है, उससे युवाओं के सपने और देश की उम्मीदें खतरे में आ गई हैं। ​​​​​​

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सूडान के सूचना मंत्री, जो अब तक प्रधानमंत्री अब्दल्ला हमदोक के लिए वफादार हैं, उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि परिवर्तन की स्थिति में संविधान सिर्फ प्रधानमंत्री को यह अधिकार देता है कि वे देश में आपातकाल लागू करें, सेना की तरफ से जो कदम उठाया गया है वह अपराध है। हमदोक अब भी कानूनी तौर पर देश के मुखिया हैं।

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तख्तापलट ने वैश्विक निंदा की है। राजनयिकों ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि संकट पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंगलवार को बैठक होनी है। अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ ने राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग की है। अज्ञात जगहों पर नजरबंद नेताओं में प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक और उनकी पत्नी के साथ-साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और अन्य नागरिक नेता शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेना की एक विशेष सुरक्षा इकाई सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री के घर गई और हमदोक को तख्तापलट के लिए राजी करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमदोक कहां हैं और कैसे हैं, इस बारे में अमेरिका के पास कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल अमेरिका सूडान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद रोक रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सूडान के बारे में आज चर्चा करने वाला है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता करीन जीन पीयरे ने कहा, 'हम सेना की इन कार्रवाई को अस्वीकार करते हैं और हाउस अरेस्ट में रखे गए प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं की रिहाई की मांग करते हैं।'

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