
करनाल, हरियाणा. करनाल जिले के बीड बडालवा स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में 13 मार्च को हुई महंत की जघन्य हत्या का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। महंत को जलाकर उसके ही चेले ने मार डाला था। चेला मंदिर की गद्दी पर बैठना चाहता था। इस मंदिर से करीब 84 एकड़ जमीन जुड़ी हुई है। घटनावाली रात चेले ने गुरु को पहले खूब शराब पिलाई। जब गुरु बेहोश होकर अपने बिस्तर पर गिरकर सो गया, तो चेले ने नीचे से आग लगा ली। बाद में लाश को नष्ट कर दिया।
पुलिस के अनुसार, 50 वर्षीय महंत ओंकारपुरी अपने चेले बाबा गोकुल पुरी के साथ मंदिर में रहते थे। दोनों को नशा करने की आदत थी। चेले ने इसी का फायदा उठाया। घटना के अगले दिन मंदिर से आग उठती देखकर गांववालों ने आग बुझाई। फिर पुलिस को सूचित किया।
चेले ने रची थी यह कहानी...
घटना के बाद जब पुलिस जांच-पड़ताल करने पहुंची, तो चेले ने बताया कि वो घटना के अगले दिन मंदिर की गाड़ी लेकर सुबह करीब 7 बजे नरवाना में किसी मंदिर में आयोजित भंडारे में शामिल होने गया था। मंदिर में गोशाला और आश्रम की देखरेख करने वाले अन्य लोग मौजूद थे। इन्हीं में से एक व्यक्ति करीब 19 बजे चाय लेकर महंत को देने उनके कमरे में पहुंचा, तो सीढ़ियों का दरवाजा बंद मिला। वो वापस आया, तो उसे खिड़की से धुआं उठते देखा। इसके बाद उसने गांववालों को बुलाया और फिर फायर ब्रिगेड को। पुलिस ने जब मौके पर पहुंचकर देखा, तो महंत की लाश पूरी तरह जल चुकी थी। लेकिन आखिर में चेला पुलिस के चंगुल में फंस गया। चेले ने बताया कि रात को उसने गुरुजी के साथ बैठकर शराब पी थी। वो गद्दी हथियाना चाहता था।
उल्लेखनीय है कि महंत ओंकारपुरी वर्ष 2012 में इस आश्रम की गद्दी पर बैठे थे। उन्हें तत्कालीन महंत देवीपुरी ने यह गद्दी सौंपी थी। बतात हैं कि यह मंदिर प्राचीन है। इसे ओंकारखेड़ा के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर एक ऊंचे टीले पर है। इसके ऊपर से पूरा गांव दिखता है। इस टीले से हड़प्पा से लेकर गुप्त काल तक के अवशेष मिलते रहे हैं।
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