विधानसभा चुनाव में BJP के लिए मुसीबत साबित हो सकती हैं जाट-मुस्लिम जुगलबंदी!

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 75 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन पिछले 15 दिन में बदले राजनीतिक माहौल में बीजेपी के सपने पर ग्रहण भी लगा सकते हैं। दरअसल, हरियाणा में किंगमेकर समझे जाने वाले जाट समुदाय का मिजाज बीजेपी के रुख से अलग नजर आ रहा है।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 19, 2019 7:57 AM IST

चंडीगढ़(Haryana). हरियाणा विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे परवान चढ़ता गया वैसे-वैसे राजनीतिक मिजाज बदलता नजर आ रहा है। हरियाणा की आवाम ऐसा जनादेश देती है कि लोग आश्चर्य चकित रह जाते हैं। हरियाणा के मतदाता कब किसे हीरो और कब किसे जीरो कर दें, इस बारे में तय कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस बार भी हरियाणा की राजनीतिक फिजा ऐसी नजर आ रही है।

2014 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की जनता ने चार विधायकों वाली बीजेपी को 47 सीटें देकर सत्ता के सिंहासन पर पहुंचा दिया था। इतना ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस की दस सीटें बीजेपी ने जीतकर विपक्ष का सफाया ही कर दिया था।

इसी सफलता के बाद पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 75 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन पिछले 15 दिन में बदले राजनीतिक माहौल में बीजेपी के सपने पर ग्रहण भी लगा सकते हैं। दरअसल, हरियाणा में किंगमेकर समझे जाने वाले जाट समुदाय का मिजाज बीजेपी के रुख से अलग नजर आ रहा है।

क्या कांग्रेस-जेजेपी पर भरोसा कर रहे हैं जाट
हरियाणा में करीब जाट समुदाय 28 फीसदी हैं, जो कि राज्य की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर हार जीत तय करते हैं। बीजेपी गैर-जाट चेहरे मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में मैदान में है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चेहरे को आगे कर चुनावी मैदान में है, जो जाट समुदाय से ही आते हैं। कांग्रेस का जाट कार्ड खेलना सफल होता नजर आ रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें हरियाणा के जाट बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। इतना ही नहीं वह काफी मुखर है और उनकी पहली पसंद भूपेंद्र सिंह हुड्डा बताए जा रहे हैं। जबकि दूसरी पसंद इनेलो से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला बन रहे हैं। इसी का नतीजा है कि जाट समुदाय के बीजेपी दिग्गजों को अपनी सीटें जीतने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं।

स्टार प्रचारक फिर भी बाहर नहीं निकाल पाए बीजेपी के दिग्गज
हरियाणा में बीजेपी का जाट चेहरा माने जाने वाले राज्य सरकार में मंत्री कैप्टन अभिमन्यू और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को अपनी-अपनी सीटों पर फिल्म स्टार से नेता बने सनी देओल से चुनाव प्रचार कराना पड़ा हैं। इतना ही नहीं इन दोनों दिग्गज नेता अपनी-अपनी सीट से बाहर दूसरी सीट पर चुनाव प्रचार के लिए नहीं जा सके हैं। जबकि इन दोनों का नाम बीजेपी के स्टार प्रचारकों में शामिल रहा है।

जाट-मुस्लिम लामबंद हुए तो टूटेगा सपना
हरियाणा में जाटों के साथ-साथ मुस्लिम भी बीजेपी के खिलाफ बताए जा रहे हैं। इस तरह से दो समुदायों का वोट मिलाकर कुल करीब 40 फीसदी से ज्यादा है। चुनाव में अगर दोनों समुदाय लामबंद होकर बीजेपी के खिलाफ वोट कराते हैं तो पार्टी के लिए 75 प्लस सीटें जीतने का सपना चकनाचूर हो सकता है। 

Share this article
click me!