हरियाणा: लालू ही नहीं शरद यादव के रिश्तेदार भी मैदान में, कांग्रेस से दिलवाया समधी को टिकट

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में लालू यादव के दमाद को टिकट दिया तो शरद यादव के समधी पर भी पार्टी ने दांव खेला है। 

चंडीगढ़. बिहार की सियासत के बेताजबादशाह रहे लालू यादव और शरद यादव पर कांग्रेस मेहरबान नजर आ रही है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में लालू यादव के दमाद को टिकट दिया तो शरद यादव के समधी पर भी पार्टी ने दांव खेला है। इस तरह से जेडीयू के बागी रहे शरद यादव को कांग्रेस अपने करीब लाने में काफी सफल हो रही है।

कांग्रेस ने हरियाणा की बादशाहपुर विधानसभा सीट से शरद यादव के समधी कमलवीर यादव को टिकट दिया है। जबकि इस सीट पर भी बीजेपी ने यादव दांव खेला है। बीजेपी ने अपने मंत्री रनबीर सिंह का टिकट काटकर युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में देखना होगा कि बादशाहपुर के सियासी संग्राम में कौन बादशाह बनता है।

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शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव की शादी कमलवीर यादव के बेटे राजकमल राव से हुई है। सूत्रों की मानें तो कमलवीर यादव का टिकट शरद यादव के कहने पर ही कांग्रेस ने टिकट दिया है।

शरद यादव के हाथों में जब जेडीयू की कमान थी तो कमलवीर यादव हरियाणा में जेडीयू के अध्यक्ष हुआ करते थे। शरद यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। यही वजह रही कि शरद यादव ने जब जेडीयू से बगावत कर अलग पार्टी बनाई तो कमलवीर यादव उनके साथ खड़े नजर आए थे। इसी के चलते शरद यादव ने अब कमलवीर को राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कांग्रेस का टिकट दिलाया है।

बादशाहपुर से मनीष यादव लड़ेंगे चुनाव

गुरुग्राम जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र थे, जिसमें सोहना और गुरुग्राम दो बड़ी विधानसभा सीटें थीं, एक पटौदी सीट थी। दो सीटों का क्षेत्र बड़ा होने के कारण विकास की वह गति नहीं थी, जिसकी जरूरत थी। ऐसे में 2008 में दोनों विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा काटकर बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र का गठन कर दिया गया। 2009 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यहां पहली बार चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस से राव धर्मपाल चुनाव मैदान में उतरे थे। उन्हें जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा।

2014 में दूसरे बार विधानसभा चुनाव हुए तो यहां से राव नरबीर सिंह को लोगों ने बीजेपी की सीट पर विधायक चुना। यह जिले की ऐसी पहली सीट है जहां दूसरे ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत का स्वाद चखने को मिल गया। इससे पहले किसी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को जल्दी जीत नहीं मिल पाई थी। इसके लिए भाजपा को गुरुग्राम सीट पर 27 साल तो सोहना और पटौदी सीट पर लंबा इंतजार करना पड़ा था।

2008 में बनी विधानसभा

मौजूदा समय में प्रदेश की सबसे बड़ी क्षेत्रफल और जनसंख्या में विधानसभा सीट बादशाहपुर 2008 में ही आस्तित्व में आई थी। अभी तक सीट पर दो बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दोनों बार यहां के लोगों ने राष्ट्रीय पार्टियों से चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों को विधानसभा भेजा। पहली बार 2009 के विधानसभा चुनाव में यहां से राव धर्मपाल कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे और दूसरे विधानसभा चुनाव में राव नरबीर सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते।

अर्बन आबादी होगी दोगुनी

बादशाहपुर विधानसभा का क्षेत्र वर्तमान में काफी बड़ा है। आने वाले सालों में इस विधानसभा के मतदाताओं की तादाद दोगुनी-तिगुनी होने का अनुमान है। इसका बड़ा कारण है रियल एस्टेट सेक्टर का असीमित विकास। इस क्षेत्र गुरुग्राम के अधिकतर सेक्टर इसी क्षेत्र में आते हैं। इन सेक्टर में बहुमंजिला रिहाइशी इमारतों की भरमार है। आने वाले पांच साल में यह क्षेत्र बहुत बड़ा हो जाएगा। ऐसे में देखना है कि बादशाहपुर की सियासत पर किसकी बादशाहियत कायम होती है। 

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