हरियाणा की राजनीतिक जंग में करीब दो दर्जन प्रत्याशी ऐसे हैं, जो दोहरे दबाव के साथ चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। इन्हें अपनों की बगावत के अलावा जीत का भी दबाव है क्योंकि टिकट न मिलने से खफा नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
चंडीगढ़. हरियाणा की राजनीतिक जंग में करीब दो दर्जन प्रत्याशी ऐसे हैं, जो दोहरे दबाव के साथ चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। इन्हें अपनों की बगावत के अलावा जीत का भी दबाव है क्योंकि टिकट न मिलने से खफा नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
कुछ बागी तो इन प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं, जबकि कुछ बागी निष्क्रिय, जिनसे भीतरघात का डर सता रहा है।
नाराज नेताओं ने बागी बन मोर्चा खोला
हरियाणा के रण में सबसे ज्यादा बगावत बीजेपी और कांग्रेस में हुई है। प्रदेश की लगभग 12 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी जहां अपनों की बगावत से जूझ रहे हैं। जबकि 13 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हे नुकसान पहुंचाने के लिए टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने बागी बनकर मोर्चा खोल रखा है।
इसके अलावा इनेलो और जेजेपी के भी दो प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हें नाराज अपनों की मुखालफत झेलनी पड़ रही है। बगावत का सामना कर रहे पार्टी के अधिकृत कैंडिडेट्स पर अब जीतने का दबाव बढ़ गया है, क्योंकि इन सभी प्रत्याशियों को टिकट दिलवाने में इनके गार्जियन नेताओं ने हाईकमान तक एड़ी चोटी का जोर लगाया था।
प्रत्याशियों के समक्ष दोहरी चुनौती
इन प्रत्याशियों की सीटों से कई अन्य दावेदार भी मजबूती से लॉबिंग में जुटे हुए थे, लेकिन उसके बावजूद ये प्रत्याशी अपने नेताओं के आशीर्वाद से टिकट पाने में कामयाब रहे। जिसके चलते अब दूसरे नाराज दावेदार इन प्रत्याशियों के खिलाफ हैं। अपनों के इसी नाराजगी ने अब इन प्रत्याशियों के समक्ष दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है। दरअसल, दोहरी चुनौती झेल रहे प्रत्याशियों को अब जीतकर अपना दम पार्टी और उन बागी नेताओं को दिखाना होगा, जो उनकी राह में मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
बीजेपी के इन प्रत्याशियों को अपना से सता रहा डर
हरियाणा के मुलाना से बीजेपी प्रत्याशी राजबीर बराड़ा, पटौदी से भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश जरवाटा, रादौर से भाजपा प्रत्याशी मंत्री कर्णदेव कंबोज, पृथला से भाजपा प्रत्याशी सोहनपाल छौक्कर, रेवाड़ी से भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर, दादरी से भाजपा प्रत्याशी बबीता फौगाट, सिरसा से भाजपा प्रत्याशी प्रदीप रतुसरिया, बरवाला से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र गंगौर, महम से भाजपा प्रत्याशी शमशेर खरकड़ा, पूंडरी से भाजपा प्रत्याशी एडवोकेट वेदपाल, फरीदाबाद एनआईटी के भाजपा प्रत्याशी नागेंद्र भडाना और पेहवा से भाजपा प्रत्याशी संदीप सिंह ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्हें अपने-अपने क्षेत्र में विरोधियों से ज्यादा अपनो से खतरा नजर आ रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशियों को बागियों का सता डर
थानेसर से कांग्रेस प्रत्याशी अशोक अरोड़ा, इंद्री से कांग्रेस प्रत्याशी नवजोत कश्यप पंवार, सफीदों से कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष देसवाल, रादौर से कांग्रेस प्रत्याशी बिशनलाल सैनी, सढौरा से कांग्रेस प्रत्याशी रेणु बाला, अंबाला शहर से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक जसबीर मलौर, रानियां से कांग्रेस प्रत्याशी विनीत कंबोज, अंबाला छावनी से कांग्रेस प्रत्याशी रेणु सिंगला अग्रवाल, कलायत से कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश, बहादुरगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र जून, गुहला चीहका से कांग्रेस प्रत्याशी दिल्लू राम बाजीगर और अंसध से कांग्रेस शमशेर सिंह विर्क गोगी को अपनों से जूझना पड़ रहा है।
शाहबाद से इनेलो प्रत्याशी संदीप कुमार और इसी शाहबाद से जेजेपी प्रत्याशी पूर्व विधायक ईश्वर पलाका के सामने भी ऐसा ही संकट छाया हुआ है।